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गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों की परेड हुई हिंसक

By भाषा | Updated: January 26, 2021 23:48 IST

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नयी दिल्ली, 26 जनवरी ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई। हजारों की संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी किसान अवरोधक तोड़ते हुए लाल किला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है।

राजपथ और लालकिले पर दो बिल्कुल अलग-अलग चीजें देखने को मिली। राजपथ पर जहां एक ओर भारतीयों ने गणतंत्र दिवस पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन देखा। वहीं प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर मुगलकालीन लाल किला पहुंच गए जो स्वतंत्रता दिवस समारोह का मुख्य स्थल है।

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कई स्थानों पर झड़पें हुईं जिससे अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई। इस दौरान पूरे दिन हिंसा हुई। इस दौरान घायल होने वाले किसानों की वास्तविक संख्या की जानकारी नहीं है लेकिन दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उनके 86 कर्मी घायल हो गए। इनमें से 41 पुलिसकर्मी लाल किले पर घायल हुए।

आईटीओ के पास एक प्रदर्शनकारी की तब मौत हो गई जब उसका ट्रैक्टर पलट गया। आईटीओ झड़प वाले प्रमुख स्थानों में से एक रहा।

पुलिस ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने उन शर्तों का उल्लंघन किया जिस पर उनकी ट्रैक्टर परेड को लेकर सहमति बनी थी।

दिल्ली पुलिस के जनसम्पर्क अधिकारी ई. सिंघल ने कहा, ‘‘किसानों ने अपनी ट्रैक्टर परेड निर्धारित समय से पहले शुरू की, उन्होंने हिंसा और तोड़फोड़ की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने वादे के अनुरूप सभी शर्तों का पालन किया और अपनी ओर से पूरा प्रयास किया लेकिन प्रदर्शन से सार्वजनिक सम्पत्ति को व्यापक नुकसान हुआ।’’

गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। हालांकि इस बार ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान उस समय से कम से कम दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए जिसकी अनुमति प्राधिकारियों द्वारा दी गई थी। शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिये गए और वाहनों को पलट दिया गया।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि तनाव के कारण अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा। तैनात किये जाने वाले अतिरिक्त बलों की सही संख्या तुरंत ज्ञात नहीं है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार यह लगभग 1,500 से 2,000 कर्मियों (लगभग 15 से 20 कंपनियां) हो सकती है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया।

हिंसा पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मंत्रालय ने सिंघू, गाजीपुर और टीकरी और उनके आसपास के इलाकों सहित दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को मंगलवार दोपहर से 12 घंटे के लिए अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया।

इस दौरान सड़कों पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले। इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी उस ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ लगा दिया जहां भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है।

वहीं, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने उन प्रदर्शनों से खुद को अलग कर लिया जिसने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जिससे उनके आंदोलन को अब तक मिली लोगों की सहानुभूति के छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है। 41 किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ ‘‘असामाजिक तत्व’’ उनके आंदोलन में घुस गए जो अभी तक शांतिपूर्ण था।

मोर्चा ने "अवांछित "और "अस्वीकार्य" घटनाओं की निंदा की और खेद जताया क्योंकि कुछ किसान समूहों द्वारा मार्च के लिए पहले से तय रास्ता बदलने के बाद परेड हिंसक हो गई।

उसने एक बयान में कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और किसी भी उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान होगा ...’’

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि उन्हें ‘‘शर्म आती है।’’

उन्होंने एक टेलीविजन चैनल से कहा, ‘‘विरोध का हिस्सा होने के नाते, मुझे लगता है कि जिस तरह से चीजें आगे बढ़ीं, उससे मुझे शर्म आती है और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।’’

सूर्यास्त होने के बाद भी हिंसा की कुछ घटनाएं जारी रहीं और उग्र भीड़ कई स्थानों पर सड़कों पर घूम रही थी। किसानों के कुछ समूह टीकरी, सिंघू और गाजीपुर में अपने धरना स्थल की ओर रवाना हुए लेकिन हजारों जमे रहे।

लाल किला परिसर में हजारों किसान जमा हो गए जिसकी प्राचीर पर प्रधानमंत्री प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं। इनमें से अधिकतर वहां तब पहुंचे जब उन्हें आईटीओ से हटाया गया। इनमें कई युवा शामिल थे जो आक्रामक थे। उन्हें बाद में शाम में पुलिस ने वहां से हटाया।

कुछ वीडियो में गुस्साई भीड़ दिखाई दी, जो लाठी और डंडों से लैस थी। ये लोग पुलिसकर्मियों को दौड़ा रहे थे जो कम संख्या में थे।

पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।

शहर में अन्य स्थानों पर भी तनाव देखा गया।

पुलिस ने शाहदरा के चिंतामणि चौक पर किसानों पर तब लाठीचार्ज किया जब उन्होंने बैरिकेड तोड़ने के साथ ही कारों के शीशे तोड़ दिए। ‘निहंगों’ का एक समूह अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गया। पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट के बेरीकेड तोड़ दिये और पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान ‘‘रंग दे बसंती’’ और ‘‘जय जवान जय किसान’’ के नारे लगाते हुए अपनी प्रस्तावित परेड के लिए अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, घोड़ों और यहां तक की क्रेनों पर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पार कर रहे थे।

विभिन्न स्थानों पर सड़कों के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच किसानों पर फूल बरसाते दिखे। झंडे लगे वाहनों के ऊपर खड़े प्रदर्शनकारी ‘‘ऐसा देश है मेरा’’ और ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते देखे गए। हालांकि इसके तुरंत बाद मूड बदल गया।

जब हिंसा भड़की तो दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और शांति बनाए रखें।

पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर परेड के लिए उनके पूर्व-निर्धारित मार्गों पर वापस जाने के लिए कहा।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने किसानों के उस वर्ग के कृत्यों की निंदा की, जिसने लाल किले में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि इसने भारत के लोकतंत्र की गरिमा के प्रतीक का उल्लंघन किया है।

पटेल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लाल किला हमारे लोकतंत्र की गरिमा का प्रतीक है। किसानों को इससे दूर रहना चाहिए था। मैं इस गरिमा के उल्लंघन की निंदा करता हूं। यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!’’

माकपा ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किये गए व्यवहार के लिए केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ना और लाठीचार्ज करना ‘‘अस्वीकार्य’’ है।

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान गत 28 नवम्बर से दिल्ली के सीमा बिंदुओं टीकरी, सिंघू और गाजीपुर पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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