Chandrayaan-2: इसरो कर रहा है विक्रम लैंडर से संपर्क की लगातार कोशिश, इस चीज पर टिकी वैज्ञानिकों की निगाहें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2019 03:28 PM2019-09-10T15:28:26+5:302019-09-10T15:49:02+5:30
इसरो के अधिकारियों ने कहा है कि चंद्रयान के ऑर्बिटर ने संपर्क साधने के लिए लैंडर की तरफ सिग्लन भेजे हैं लेकिन सारी कोशिशें इस उम्मीद पर पर टिकी है कि विक्रम सिग्नल रिसीव कर पाता है या नहीं.
चंद्रयान-2 को लेकर चिंतित देश वासियों के लिए खुशखबरी आई है. इसरो प्रमुख के सिवन ने खुशखबरी देते हुए कहा कि हमने विक्रम लैंडर को खोज लिया है. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर में लगे थर्मल कैमरों ने लैंडर की मौजूदगी खोज निकाला है. इन बुरी खबर के बीच आई तस्वीरों से विक्रम की हालत अच्छी बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि गुम हुआ विक्रम उस जगह से 500 मीटर पड़ा है जहां उसे लैंडिंग करनी थी. लेकिन एक दिक्कत है, वो जहां पड़ा है वो अपनी जगह पर झुका है, वो उस जगह थोड़ा हुए टेढा पड़ा मिला है. जिस विक्रम लैंडर की सलामती की दुआएं पूरा देश मांग रहा. राहत की बात ये है किउसमें कोई टूट फूट भी नहीं बताई जा रही है, वो एक पीस में है. अगर उससे संपर्क हो गया तो दोबारा अपने पैरों पर खड़ा सकता है.
इसरो के अधिकारी कहते हैं लैंडर विक्रम हमारी योजना के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर पाया था. इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि विक्रम ने 'हार्ड लैंडिंग' की थी और हम उसके कॉन्टैक्ट करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. चंद्रयान-1 के डायरेक्टर रहे एम अन्नादुराई ने कहा चांद की सतह पर जरूर ऐसी मुश्किल है जो विक्रम लैंडर को सिग्नल रिसीव करने से रोक रही हैं. वो आगे कहते हैं कि चंद्रयान के ऑर्बिटर ने संपर्क साधने के लिए लैंडर की तरफ सिग्लन भेजे हैं लेकिन सारी कोशिशें इस उम्मीद पर पर टिकी है कि विक्रम सिग्नल रिसीव कर पाता है या नहीं. अन्नादुरई कहते हैं कि ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा दो-तरफा संचार होता है. मगर हम एक तरफा कम्यूनिकेशन करने की कोशिश कर रहे है और ये कम्यूनिकेशन 5 से 10 मिनट से अधिक के लिए नहीं होगा.
लैंडर विक्रम पर गहराते सस्पेंस के बीच, निराश ना हो संपर्क टूटा है , उम्मीद नहीं. इसरो के पूर्व चीफ माधवन नायर ने कहा अब भी 60 से 70 चांस है कि विक्रम से संपर्क हो जाए. इसरो के साइंटिस्ट कहते हैं कि किसी भी दिन इसरो सेंटर का विक्रम से संपर्क जुड़ सकता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में वह टेक्नोलॉजी है जिसके दम पर वो खुद को खड़ा कर सकता
लैंडर विक्रम में 5 थ्रस्टर्स है, जिसकी मदद से उसे सॉफ्ट लैंडिग करनी थी. इनके अलावा 4 और थ्रसस्टर्स है जिन्हें चला कर मिशन कंट्रोल उसकी डायरेक्शन तय करते थे. और ये थ्रस्टर्स फिलहाल सही सलामत है. सारा पेंच यहीं फंसा है. अगर विक्रम के एंटीना ने कमांड रिसीव कर लिए तो थ्रस्टर चालू हो जाएंगे. जिससे वो वापस अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है.
एक्सपर्ट बताते है कि विक्रम लैंडर में ऑनबोर्ड कम्प्यूटर है..जिससे वो खुद ही कई काम कर सकता है. विक्रम लैंडर के गिरने से वह एंटीना दब गया है ..जिससे सिग्लन रिसीव होते है..इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि अब सब कुछ विक्रम के एंटिना के रुख पर टिका है. अगर एंटिना ग्राउंड स्टेशन या ऑर्बिटर की तरफ हो गया तो काम आसान हो जाएगा. फिलहाल विक्रम चांद पर पड़ा हुआ है और हम उसे हिला-डुला नहीं सकते. उन्होंने बताया कि विक्रम तेजी से अपनी एनर्जी खर्च तो कर रहा लेकिन ये ज्यादा चिंता की बात नहीं है, विक्रम में लगे सोलर पैनल उसे चार्ज कर सकते है. विक्रम के शुभचिंतकों के लिए इससे भी बड़ी सुकून देने वाली बात ये है कि उसके अंदर की बैट्री बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुई है. इसरो के पास जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में खोए एक स्पेसक्राफ्ट को ढूंढने का अनुभव है. हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर विक्रम का एक भी पार्ट खराब हुआ होगा तो उससे कॉन्टैक्ट करना पॉसिबल नहीं होगा. आने वाले अगले ११ दिन विक्रम के लिए बेहद अहम है..क्यों कि अभी लूनर डे चल रहा है.. एक लूनर डे १४ दिनों का होता है..विक्रम को गुम हुए ३ दिन बीत चुके है..११ दिन बाद चांद पर रात हो जाएगी जिसकी वजह से उससे संपर्क करना और मुश्किल हो जाएगा.
चांद की सतह पर उतरने से बस 2.1 किलोमीटर पहले चंद्रयान-2 मिशन अपने प्लान के हिसाब से बढ़ रहा था लेकिन कामयाबी के चंद मिनट पहले विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया. इसरो अध्यक्ष डॉ के सिवन समेत सभी वैज्ञानिकों के चेहरे पर मायूसी और पूरे सेंटर पर सन्नाटा छा गया. उस वक्त पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. इस सदमे से इसरो प्रमुख के सिवन अपने आसू नहीं रोक पाए और पीएम सामने ही फूट फूट कर रोए.
3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था. 2379 किलोग्राम ऑर्बिटर के मिशन की उम्र एक साल है. इसरो कहता है हमारे सटीक प्रक्षेपण और मिशन मैनेजमेंट ने इस अभियान की उम्र बढ़ाकर 7 साल कर दी है. ये पूरी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा 'ट्रांस लूनर इन्सर्शन' नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिए जाने के बाद शुरू की थी. चंद्रयान-2 के 'ऑर्बिटर' में चंद्रमा के सतह की मैपिंग करने और अध्ययन करने के लिए आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं . 12 जून को इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि चंद्रमा पर जाने के लिए भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा. इससे पहले 5 जुलाई को इसरो ने महज एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी खामी के कारण चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया था. जिसके बाद 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया