उज्बेकिस्तान में खांसी सीरप से मौत: मैरियन बायोटेक के डॉक -1 मैक्स का निर्माण "फिलहाल" बंद, सीडीएससीओ ने जांच शुरू की, जानें कब क्या हुआ
By भाषा | Published: December 29, 2022 09:40 PM2022-12-29T21:40:20+5:302022-12-29T21:44:37+5:30
Uzbekistan Cough syrup 18 child death: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि बच्चों की मौत डॉक-1 मैक्स का सेवन करने से होने संबंधी उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोप के बाद आगे की कार्रवाई दवा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर की जाएगी।
नई दिल्लीः मैरियन बायोटेक के डॉक -1 मैक्स का निर्माण "फिलहाल" बंद कर दिया गया है। यह जानकारी कंपनी के विधि प्रतिनिधि ने बृहस्पतिवार को दी। इस बीच, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की कथित तौर पर एक भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित खांसी की दवा पीने से हुई मौत के मामले में जांच शुरू कर दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि बच्चों की मौत डॉक-1 मैक्स का सेवन करने से होने संबंधी उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोप के बाद आगे की कार्रवाई दवा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर की जाएगी।
बृहस्पतिवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में कंपनी के कार्यालय में निरीक्षण शुरू करने के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि मैरियन बायोटेक भारत में डॉक -1 मैक्स नहीं बेचती है और इसका एकमात्र निर्यात उज्बेकिस्तान को किया गया है।
मांडविया ने कहा कि कफ सीरप के नमूने नोएडा में विनिर्माण परिसर से लिए गए हैं और चंडीगढ़ में क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) को जांच के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि सीडीएससीओ 27 दिसंबर से मामले को लेकर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के नियमित संपर्क में है।
Uzbekistan hasn't formally raised the matter with India but our mission in Tashkent is in touch with authorities, says MEA Spox on deaths in Uzbekistan due to Indian firm made cough syrup https://t.co/c5nSo1ylWVpic.twitter.com/JB8wvCJyJN
— Sidhant Sibal (@sidhant) December 29, 2022
मांडविया ने कई ट्वीट करके कहा, ‘‘सूचना मिलने के तुरंत बाद, निर्माता मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई का संयुक्त निरीक्षण उत्तर प्रदेश औषधि नियंत्रक और सीडीएससीओ की टीम द्वारा किया गया और निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत उज्बेकिस्तानी प्राधिकारियों के सम्पर्क में है और मामले में उनकी जांच का ब्योरा मांगा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि ‘‘हमारी समझ है कि वहां कंपनी के एक स्थानीय प्रतिनिधि सहित कुछ लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गयी है और इस संदर्भ में हम उन लोगों को जरूरी राजनयिक सहायता प्रदान कर रहे हैं।’’ प्रवक्ता ने कहा कि उज्बेकिस्तान के प्रशासन ने इस मामले में औपचारिक रूप से भारत से सम्पर्क नहीं किया है, हालांकि दोनों देशों केंऔषधि विनियामक एक दूसरे के सम्पर्क में है। बागची ने कहा, ‘‘भारतीय दूतावास ने उज्बेकिस्तानी पक्ष से सम्पर्क किया और उनकी जांच का ब्यौरा मांगा है।’’
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, मैरियन बायोटेक एक लाइसेंस प्राप्त निर्माता है और उसके पास औषधि नियंत्रक, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्यात उद्देश्य के लिए डॉक -1 मैक्स सीरप और टैबलेट के निर्माण के लिए लाइसेंस है। नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि हसन हैरिस ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले को देख रही हैं।
हैरिस ने कहा, ''हमारी ओर से कोई दिक्कत नहीं है और परीक्षण में कोई गड़बड़ी नहीं है। हम पिछले 10 साल से वहां हैं। एक बार सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे। फिलहाल के लिए (दवा का) निर्माण बंद कर दिया गया है।'' उज्बेकिस्तान के दावों से पहले, इस साल की शुरुआत में गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत की हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सीरप से होने की खबरें आयी थीं। भारत के औषधि महानियंत्रक ने दावा किया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दोनों के बीच समय से पहले संबंध जोड़ दिया।
The death of children in Gambia had nothing to do with the consumption of cough syrup made in India. That has been clarified by the Gambian authorities and DCGI, both. But blinded in its hate for Modi, Congress continues to deride India and its entrepreneurial spirit. Shameful… https://t.co/BKVQw5qskI
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 29, 2022
सूत्रों ने कहा कि डीसीजीआई ने ताजा आरोप के संबंध में उज्बेक नियामक से और जानकारी मांगी है। उज़्बेकिस्तान के मंत्रालय के अनुसार, प्रयोगशाला परीक्षणों के दौरान डॉक -1 मैक्स सीरप की एक खेप में रासायनिक एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। विदेशों में बच्चों की मौत में भारतीय फार्मा कंपनियों की कथित भूमिका का राजनीतिक प्रभाव भी सामने आया।
विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि सरकार को डींग हांकना छोड़कर, इस मामले मे कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। दूसरी तरफ, सत्तारूढ़ पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति ‘नफरत’ के चलते कांग्रेस भारत का मजाक बना रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मामले को लेकर ट्वीट किया, ‘‘भारत में निर्मित सीरप खतरनाक दिखाई देते हैं।
पहले गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत हुई और अब उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हुई। मोदी सरकार को यह डींग हांकना बंद कर देना चाहिए कि भारत दुनिया के लिए औषधालय है। सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।’’ इस पर पलटवार करते हुए भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘‘गाम्बिया में बच्चों की मौत से भारत में निर्मित सीरप का कोई लेनादेना नहीं है।
इस बारे में गाम्बिया के प्रशासन और डीसीजीआई दोनों ने स्पष्टीकरण दिया है। लेकिन मोदी के प्रति नफरत में अंधी हो चुकी कांग्रेस भारत एवं उसकी उद्यमी भावना का मजाक बना रही है।’’ भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इस महीने के शुरू में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को बताया था कि वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित चार कफ सीरप से अपरिपक्व रूप से जोड़ दिया जिसने दुनियाभर में देश के दवा उत्पादों की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
डब्ल्यूएचओ में निदेशक (विनियमन और पूर्व अर्हता) डॉ. रोजेरियो गैस्पर को लिखे एक पत्र में भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ.वी.जी. सोमानी ने कहा था कि मौतों के मद्देनजर अक्टूबर में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा हड़बड़ी में इसे भारत में निर्मित कफ सीरप से जोड़ दिया गया जिसके कारण भारतीय दवा उत्पादों की गुणवत्ता को लक्षित करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विमर्श बनाया गया। डीसीजीआई ने कहा था कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी और निरीक्षण के लिए प्रतिबद्ध है कि दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के गुणवत्ता नियंत्रण में निर्माण के उच्चतम मानकों को बनाए रखा जाए।