विश्व स्वास्थ्य संगठन को सशक्त करने के प्रस्ताव का अमेरिका ने किया विरोध, महामारी के बाद से उठ रही अधिकारों में बढ़ोतरी की मांग

By विशाल कुमार | Published: January 22, 2022 10:09 AM2022-01-22T10:09:26+5:302022-01-22T10:17:15+5:30

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी सरकार इस सुधार का इसलिए विरोध कर रही है क्योंकि उसे चीन सहित भविष्य में सामने आने वाले खतरों को संभालने को लेकर डब्ल्यूएचओ की क्षमता पर संदेह है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन को सशक्त करने के प्रस्ताव का अमेरिका ने किया विरोध, महामारी के बाद से उठ रही अधिकारों में बढ़ोतरी की मांग

Highlightsप्रस्ताव को लेकर बातचीत से जुड़े चार यूरोपीय अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है।यह प्रस्ताव हर सदस्य देश के सालाना स्थायी योगदान में बढ़ोतरी करता।यह योजना कोविड-19 महामारी के बाद सामने आए व्यापक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है।

ब्रसेल्स: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सबसे बड़ा दानदाता अमेरिका संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी को अधिक स्वतंत्र बनाने का प्रस्ताव का विरोध कर रहा है। प्रस्ताव को लेकर बातचीत से जुड़े चार यूरोपीय अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, ऑनलाइन प्रकाशित 4 जनवरी के डब्ल्यूएचओ के दस्तावेज से पता चलता है कि स्थायी वित्तपोषण पर डब्ल्यूएचओ की कार्यकारी समूह का यह प्रस्ताव हर सदस्य देश के सालाना स्थायी योगदान में बढ़ोतरी करता।

यह योजना कोविड-19 महामारी के बाद सामने आए व्यापक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है, जिससे पता चला कि संकट में तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए डब्ल्यूएचओ के पास सीमित अधिकार हैं।

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी सरकार इस सुधार का इसलिए विरोध कर रही है क्योंकि उसे चीन सहित भविष्य में सामने आने वाले खतरों को संभालने को लेकर डब्ल्यूएचओ की क्षमता पर संदेह है।

इसके बजाय अमेरिका एक अलग फंड बनाने पर विचार कर रहा है जो सीधे दानदाताओं द्वारा नियंत्रित किया जाएगा जो स्वास्थ्य आपात स्थितियों की रोकथाम और नियंत्रण को वित्तपोषित करेगा।

प्रस्ताव में सदस्य देशों के अनिवार्य योगदान को 2024 से धीरे-धीरे बढ़ाने का आह्वान किया गया है, ताकि वे 2028 तक एजेंसी के 2 बिलियन डॉलर (करीब 1.49 खरब रुपये) के मुख्य बजट का आधा हिस्सा दे सकें, जबकि फिलहाल यह 20 फीसदी से कम है।

डब्ल्यूएचओ का मुख्य बजट दुनियाभर में महामारी से लड़ने और स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए है। यह उष्णकटिबंधीय रोगों और इन्फ्लूएंजा जैसी विशिष्ट वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक वर्ष में अतिरिक्त 1 बिलियन डॉलर (करीब 75 अरब रुपये) या उससे भी अधिक जुटाता है।

प्रस्ताव के समर्थकों का कहना है कि सदस्य देशों और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा किया जाने वाला स्वैच्छिक वित्तपोषण दानदाताओं द्वारा तय प्राथमिकताओं को लक्षित करने के लिए मजबूर करता है और गलत होने पर सदस्यों की आलोचना करने में लचीला रुख अपनाने पर मजबूर करता है।

 डब्ल्यूएचओ सुधार पर सलाह देने के लिए नियुक्त महामारी पर एक स्वतंत्र पैनल ने वर्तमान प्रणाली को डब्ल्यूएचओ की अखंडता और स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा जोखिम मानते हुए, मूल बजट के 75 फीसदी तक अनिवार्य शुल्क में बढ़ोतरी का आह्वान किया था।

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