सोशल मीडिया से दूर रहेंगे यूपी के पुलिस अफसर और सिपाही! यूपी पुलिस ने जारी की सोशल मीडिया पॉलिसी
By राजेंद्र कुमार | Published: February 8, 2023 08:07 PM2023-02-08T20:07:13+5:302023-02-08T20:08:30+5:30
इस पॉलिसी के अनुसार अब सरकारी कार्य या ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग पुलिस अधिकारियों के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। कांस्टेबल से लेकर आईपीएस अधिकारी तक यह प्रतिबंध लागू किया गया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पुलिस फोर्स में पुलिस अफसर से लेकर सिपाही तक को सोशल मीडिया से दूर रहने का आदेश दिया गया है। उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजेपी) ने प्रदेश के पुलिस महकमें के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी जारी कर दी है। इस पॉलिसी के अनुसार अब सरकारी कार्य या ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग पुलिस अधिकारियों के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। कांस्टेबल से लेकर आईपीएस अधिकारी तक यह प्रतिबंध लागू किया गया है। इसका उल्लंघन करने वाले पुलिस अधिकारी या सिपाही के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
राज्य में यह पहला मौका है जब पुलिस फोर्स में सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर सोशल मीडिया पॉलिसी लायी गई है, हालांकि ऐसी पॉलिसी लाये जाने की वकालत अखिलेश यादव की सरकार में पुलिस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के सोशल मीडिया पर अनुशासनहीन पुलिस कर्मी की पक्ष में सोशल मीडिया में कई पोस्ट लिखने पर हुई थी।
इसके बाद कई पुलिस अफसरों और सिपाहियों ने अपनी फोटो सोशल मीडिया में डालने का सिलसिला शुरू किया, तो पुलिस अफसरों के कृत्य की अनदेखी कर सिपाहियों के खिलाफ कार्यवाही की गई। इस भेदभाव की जब आलोचना होने लगी तो अब सोशल मीडिया पॉलिसी लायी गई।
इस पॉलिसी के तहत अब पुलिस अफसर और सिपाही के वर्दी में रील बनाने, चैटिंग करने या वर्दी में कार्य के समय बिना वजह फोटो डालने पर और सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर लाइव टेलीकास्ट को करने पर भी रोक लगाई गई है। इस पॉलिसी में पुलिस अफसर और सिपाहियों को कुल 26 कार्य करने से रोका गया हैं।
इस पॉलिसी के तहत थाना/पुलिस लाईन/कार्यालय इत्यादि के निरीक्षण एवं पुलिस ड्रिल/फायरिंग में भाग लेने का लाईव टेलीकास्ट एवं कार्यवाही से सम्बन्धित वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करना गोपनीयता का उल्लंघन माना जाएगा. यही नहीं पुलिस कार्मिक द्वारा कार्य सरकार के दौरान सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी प्रकार की कोचिंग, लेक्चर, लाइव प्रसारण, चौट, वेबीनार इत्यादि में आमंत्रित किये जाने पर उसमें भाग लेने से पूर्व अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित कर अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
इस पॉलिसी कहा गया है कि सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म से पुलिस कार्मिक किसी भी प्रकार का धनार्जन/आय प्राप्त नहीं करेंगे, जब तक कि इस सम्बन्ध में उनके द्वारा सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त न कर ली जाये. सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म से किसी भी व्यक्तिगत, व्यवसायिक कम्पनी अथवा उत्पाद/सेवा का प्रचार-प्रसार किया जाना प्रतिबंधित किया गया है।
कहा गया है कि किसी भी गोपनीय सरकारी दस्तावेज, हस्ताक्षरित रिपोर्ट अथवा पीड़ित के प्रार्थना-पत्र को सरकारी या व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं डाला जायेगा। पॉलिसी में किसी भी यौन शोषित पीड़िता या किशोर/किशोरी तथा किशोर आरोपित दोषी (जुवेनाइल ऑफेंडर्स) की पहचान अथवा नाम व अन्य सम्बन्धित विवरण सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उजागर नहीं करने का आदेश भी पुलिसकर्मियों को दिया गया है।
इसके साथ ही यह कहा गया है कि पुलिस कार्मिकों द्वारा विभाग में असंतोष की भावना फैलाने वाली पोस्ट अथवा सामग्री सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साझा नहीं की जायेगी.. और ना ही पुलिस कार्मिकों द्वारा सरकार या उसकी नीतियों, कार्यक्रमों अथवा राजनैतिक दल, राजनैतिक व्यक्ति, राजनीतिक विचारधारा एवं राजनेता के संबंध में सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी।
यूपी पुलिस की इस पॉलिसी का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात ही पॉलिसी में लिखी गई है। डीजीपी इस पॉलिसी गंभीरता से इसका पालन करने का आदेश पुलिस फोर्स के सभी अधिकारी और सिपाहियों को दिया है।