UP News: उत्तर प्रदेश का 76 वां जिला?, फरेंदा-नौतनवा और कैम्पियरगंज को मिलाकर फरेंदा बनाए जाने की तैयारी!, विधानसभा उप चुनाव से पहले देंगे सीएम योगी तोहफा

By राजेंद्र कुमार | Published: September 16, 2024 06:15 PM2024-09-16T18:15:22+5:302024-09-16T18:17:04+5:30

UP News: महाराजगंज की तहसील फरेंदा एवं नौतनवा और गोरखपुर की तहसील कैम्पियरगंज को मिलाकर फरेंदा बनाए जाने के संबंध में अपनी रिपोर्ट स्पष्ट संस्तुति के साथ दें.

UP News 76th district Uttar Pradesh Preparation Farenda by merging Farenda-Nautanwa and Campierganj CM Yogi give gift before assembly by elections | UP News: उत्तर प्रदेश का 76 वां जिला?, फरेंदा-नौतनवा और कैम्पियरगंज को मिलाकर फरेंदा बनाए जाने की तैयारी!, विधानसभा उप चुनाव से पहले देंगे सीएम योगी तोहफा

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Highlightsराजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव की ओर से गोरखपुर के डीएम को पत्र भेजा गया है.कांग्रेस और सपा नेताओं ने योगी सरकार की कवायद को जनता का ध्यान भटकने का पैंतरा बताया है.उत्तर प्रदेश में अभी 75 जिले हैं. बीते 30 वर्षों में सूबे के बीस से अधिक नए जिले बनाए गए हैं.

लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यूपी की सत्ता संभालने के बाद प्रदेश के गोरखपुर में बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं की शुरुआत हुई. बीते साल वर्षों में इस जिले में करीब 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत वाली बड़ी-बड़ी परियोजनाएं आकार ले चुकी हैं. इसके बाद बाद गोरखपुर मंडल के दो जिलों की कुछ तहसीलों को काट कर एक नया जिला फरेंदा बनाए जाने की तैयारी शुरू की गई हैं. इस संबंध में राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव की ओर से गोरखपुर के डीएम को पत्र भेजा गया है.

इसमें कहा गया है कि महाराजगंज की तहसील फरेंदा एवं नौतनवा और गोरखपुर की तहसील कैम्पियरगंज को मिलाकर फरेंदा बनाए जाने के संबंध में अपनी रिपोर्ट स्पष्ट संस्तुति के साथ दें. शासन के इस पत्र को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं ने योगी सरकार की इस कवायद को जनता का ध्यान भटकने का पैंतरा बताया है.

उत्तर प्रदेश में अभी 75 जिले हैं. बीते 30 वर्षों में सूबे के बीस से अधिक नए जिले बनाए गए हैं. नए जिलों को बनाने में मुलायम सिंह यादव और मायावती के शासनकाल नए जिले बनाए जाने का सिलसिला शुरू हुआ था. अखिलेश यादव के शासन काल में मायावती द्वारा बनाए गए कई जिलों के नाम बदले गए थे.

लेकिन यूपी में लगातार सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी के बैठने वाले योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में एक भी नया जिला नहीं बना. हां, इस दौरान दो जिलों का नाम जरूर बदला गया. जिसके चलते फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या और इलाहाबाद जिले का नाम प्रयागराज रखा गया है.

बताया जा रहा है कि इसी क्रम में अब राज्य में गोरखपुर मण्डल के चार जिलों में से गोरखपुर और महाराजगंज की दो-एक तहसीलों को इन जिलों से काट कर एक नया जिला फरेंदा बनाने की कवायद शासन स्तर से शुरू हुई है. अगर यह नया जिला बनता है तो प्रदेश में जिलों की संख्या 76 हो जाएगी. फरेंदा को नया जिला बनाने के लिए गोरखपुर के कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी गई है.

अब डीएम गोरखपुर को यह रिपोर्ट गोरखपुर के मंडलायुक्त के जरिये राजस्व परिषद को भेजनी है. इस मामले में राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार का कहना है कि सामान्य प्रक्रिया के तहत नए जिले के बनाने के लिए जिलों से रायशुमारी के लिए पत्र लिखा गया. शासन स्तर पर कोई नया जिला बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

बताया यह भी जा रहा है कि महराजगंज जिला प्रशासन ने इस प्रस्ताव को लेकर असहमति  जाहिर की है. उनका कहना है कि नया जिला बनने पर महराजगंज में सिर्फ दो तहसीलें महराजगंज सदर और निचलौल बची रहेंगी. जो कि शासन के अनुरूप नहीं होगा। एक जिले में कम से कम तीन तहसीलें होनी चाहिए.

राजनीति से प्रेरित है कवायद

फिलहाल लोकसभा चुनावों में विपक्ष के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद शुरू हुई इस कवायद को राजनीति के चश्मे से देखा जा रहा है. विपक्षी दल इस लेकर सरकार को निशाने पर ले रही हैं. कांग्रेस के पूर्व विधायक और प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं कि प्रदेश सरकार नए जिले के निर्माण कवायद जनता की आंखों में धूल झोकने के लिए कर रही है.

वास्तव में एक जिले के निर्माण पर करीब दो से तीन हजार करोड रुपए का खर्च आता है. डीएमम, एसपी, सहित तमाम बड़े अफसरों के बैठने रहने के का इंतजाम नये जिले में करना होता है. इसी तरह से जिला अस्पताल, स्कूल और अदालत आदि का भी इंतजाम जरूरी है. अभी मायावती सरकार में बनाए गए नए जिलों में इस तरह के इंतजाम पूरी तरह से नहीं हुए है. ऐसे में नए जिले को बनाने के लिए की जा रही कवायद राजनीति से प्रेरित है.

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