केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने बॉम्बे हाईकोर्ट से लगाई गुहार, बंगले में 'अवैध' परिवर्तन पर जारी बीएमसी की नोटिस पर लगे रोक
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 21, 2022 02:21 PM2022-03-21T14:21:44+5:302022-03-21T14:32:59+5:30
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बंगले में हुए अवैध निर्माण के खिलाफ बीएमसी की ओर से जारी नोटिस में स्पष्ट कहा था कि यदि अवैध निर्माण नहीं हटाए गए तो उसे बीएमसी द्वारा गिरा दिया जाएगा और गिराने का सारा खर्च राणे और उनके परिवार से वसूला जाएगा।
मुंबई: केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को जुहू स्थित अपने बंगले में किये गये कथित बदलाव को लेकर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा जारी नोटिस को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
नारायण राणे ने बीएमसी द्वारा 25 फरवरी, 4 मार्च और 16 मार्च को बंगले में अवैध निर्माण के लिए जारी की गई नोटिस को रद्द करने की मांग की है। राणे ने अपने यचिका में कहा है कि बीएमसी इस मामले में मौलिक अधिकारों का हनन कर रहा है।
इस मामले में नारायण राणे के वकील अमोघ सिंह ने हाईकोर्ट में जस्टिस एए सैयद की बेंच के सामने सोमवार को तत्काल सुनवाई की गुजारिश की। जिसके जवाब में बेंच ने कहा कि वो इस संबंध में मंगलवार को सुनवाई करेगी।
मालूम हो कि शिवसेना के प्रभुत्व वाली बीएमसी ने पिछले हफ्ते भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को नोटिस जारी करके उनके द्वारा बंगले में किये गये कथित अवैध निर्माण को हटाने का आदेश दिया था।
बीएमसी ने अपने नोटिस में स्पष्ट कहा था कि यदि अवैध निर्माण नहीं हटाए गए तो उसे बीएमसी द्वारा गिरा दिया जाएगा और गिराने का सारा खर्च राणे और उनके परिवार से वसूला जाएगा।
नारायण राणे ने याचिका में दावा किया गया है कि बीएमसी का नोटिस 'आर्टलाइन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी के नाम पर जारी किया गया है, जिसे एक अन्य कंपनी में मिला दिया गया था। जिसमें नारायण राणे और उनके परिवार का शेयर था।
याचिका में कहा गया है कि कंपनी के लाभार्थी मालिक होने के नाते नारायण राणे और उनका परिवार जुहू स्थित 'आदिश' बंगले में रहता है, लेकिन चूंकि परिसर कंपनी के स्वामित्व में था, इसलिए कंपनी के माध्यम से याचिका दायर की गई है।
नारायण राणे की पत्नी नीलम राणे और बेटे नीलेश राणे पूर्व में आर्टलाइन प्रॉपर्टीज के निदेशक रहे थे। उन्होंने बीएमसी के नोटिस का जवाब दिया था, जिसमें बीएमसी के एक्शन को "दुर्भावनापूर्ण इरादे" से किया गया कहा गया था। इसके साथ यह भी कहा गया कि बीएमसी की नोटिस बंगले के निर्माण को नौ साल पूरे होने के बाद जारी की गई है।
इसके बाद पूर्व निदेशकों यानी नारायण राणे की पत्नी और बेटे को बीएमसी अधिकारियों ने अपने समक्ष सुनवाई के लिए बुलाया था। इसी बीच 4 मार्च 2022 को बीएमसी की ओर से दूसरा नोटिस जारी किया गया।
मार्च की नोटिस पर कंपनी ने बीएमसी द्वारा निर्धारित 8,790 रुपये का भुगतान करके कथित रूप से अतिक्रमण किये गये परिसर के कुछ हिस्सों को बनाए रखने के लिए एक आवेदन भी किया।
याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने आवेदन में स्पष्ट किया है कि बीएमसी के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और पूरा परिसर फ्लोर स्पेस इंडेक्स सीमा के भीतर ही निर्मित है।
इसके बावजूद बीएमसी के अधिकारी ने पहले नोटिस के आधार पर एक आदेश पारित किया कि कथित अनधिकृत निर्माण को 15 दिनों के भीतर परिसर से हटाने दिया जाए।