सरकारी खजाने की भरपाई के लिए सार्वजनिक उपक्रमों पर दबाव बना रही मोदी सरकार, पीएफसी को देने पड़ रहे 15 हजार करोड़ रुपये

By शीलेष शर्मा | Updated: March 10, 2019 08:47 IST2019-03-10T08:47:33+5:302019-03-10T08:47:33+5:30

केंद्र सरकार के दबाव में पीएफसी को देने पड़ रहे हैं सरकारी खजाने में 15 हजार करोड़ रुपये। पीएफसी से 15 हजार करोड़ लेने के लिए एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई का अस्तित्व ही समाप्त किया जा रहा है.

Under the pressure of the central government, the PFC has to pay Rs 15,000 crore in the public exchequer | सरकारी खजाने की भरपाई के लिए सार्वजनिक उपक्रमों पर दबाव बना रही मोदी सरकार, पीएफसी को देने पड़ रहे 15 हजार करोड़ रुपये

नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsप्रधानमंत्री कार्यालय ने विद्युत मंत्रालय के माध्यम से पीएफसी को 15 हजार करोड़ रुपए सरकारी खजाने को देने को कहा है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने जीएसपीसी के कर्ज को पटाने के लिए ओएनजीसी पर दबाव बनाया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकारी खजाने की भरपाई करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से लगान वसूलने में लगे हुए हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पीएसयू पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्रधानमंत्री मोदी के इस लगान वसूली का शिकार बना हुआ है. सूत्र बताते है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने विद्युत मंत्रालय के माध्यम से पीएफसी को 15 हजार करोड़ रुपए सरकारी खजाने को देने को कहा है. प्राप्त गोपनीय जानकारियों के अनुसार पीएफसी से 15 हजार करोड़ लेने के लिए एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई का अस्तित्व ही समाप्त किया जा रहा है.

पीएफसी पर दबाव डाल कर कहा गया है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई आरईसी (रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉपार्ेरेशन) के शेयरों को वह खरीद ले और जो 15 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे वह सरकार के खजाने में चली जाएगी. सार्वजनिक क्षेत्र के स्वायत्तता वाली इकाइयों से खजाने की भरपाई करने का यह सिलसिला कोई नया नहीं है. इससे पहले आरबीआई पर इस बात के लिए पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने दबाव डाला कि वह अपने रिजर्व फंड से पैसा सरकारी खजाने को दे दें. जब आरबीआई ने इस पर न नकुर की तो आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल को ही जाना पड़ा और मजबूर होकर बाद में आरबीआई ने अपने रिजर्व फंड से पैसा सरकार के खाते में दिए.

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसपीसी (गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कार्पोरेशन) के कर्ज को पटाने के लिए पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान के माध्यम से ओएनजीसी पर दबाव बनाया और उसे मजबूर किया कि वह जीएसपीसी में निवेश करें. यह जानते हुए कि जीएसपीसी अब पूरी तरह डूब चुकी है क्योंकि उसके द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो दावे किए थे वो खोखले साबित हुए और किसी भी जगह न तो गैस मिली और न तेल. भारी कर्ज में डूबी जीएसपीसी जब कर्ज नहीं पटा पाई तो मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए ओएनजीसी पर दबाव बनाया ताकि जीएसपीसी को भारतीय देन दारियों से मुक्त कराया जाए, अब पीएफसी की बारी है जो आरईसी के शेयरों को खरीद कर सरकारी खजाने की भरपाई करेगी.

Web Title: Under the pressure of the central government, the PFC has to pay Rs 15,000 crore in the public exchequer

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