पंकजा मुंडे सहित BJP नेताओं के कारखानों की 310 करोड़ की बैंक गारंटी रद्द करेगी उद्धव ठाकरे सरकार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 4, 2019 07:51 AM2019-12-04T07:51:30+5:302019-12-04T07:51:30+5:30
पूर्व सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा, नई सरकार ने शक्कर कारखानों की गारंटी रद्द करने का निर्णय लिया तो यह राजनीतिक प्रतिशोध ही होगा.
यदु जोशी
पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे, पूर्व सांसद धनंजय महाडिक, विधायक विनय कोरे व सोलापुर जिले के नेता कल्याणराव काले से संबंधित शक्कर कारखानों को देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने 310 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी देने का निर्णय लिया था. उद्धव ठाकरे सरकार इस निर्णय को रद्द करने पर विचार कर रही है. तत्कालीन सरकार ने विधानसभा चुनाव के पूर्व उपरोक्त चार नेताओं के कारखानों को बैंक गारंटी व खेळत्या भांडवलापोटी मदद देने का निर्णय लिया था.
यह बैंक गारंटी पंकजा मुंडे के वैद्यनाथ सहकारी शक्कर कारखाना, धनंजय महाडिक के भीमा शक्कर कारखाना, विनय कोरे के श्री तात्यासाहेब कोरे वारणा शक्कर कारखाना व कांग्रेस से भाजपा में गए कल्याणराव काले के सहकार शिरोमणि वसंतराव काले कारखाना को दी गई थी. जो क्रमश: 50 करोड़, 85 करोड़, 100 करोड़ व 75 करोड़ रुपए थी. इन कारखानों से संबंधित चारों नेता भाजपा के साथ हैं.
इन शक्कर कारखानों को सरकारी गारंटी मिलने से राष्ट्रीय सहकारिता विकास महामंडल (एनसीडीसी) के मार्फत कर्ज मिलता और कारखाने फिर से खड़े हो सकते थे. यह गारंटी देते समय तत्कालीन सरकार ने कुछ शर्तें लगाई थीं. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फड़नवीस सरकार द्वारा आखिर के छह माह में लिए गए निर्णयों की समीक्षा कर रहे हैं. उनमें यह निर्णय भी शामिल है.
एनसीपी के एक नेता ने 'लोकमत' से कहा कि नई सरकार इस बात की जानकारी लेगी कि इन कारखानों को किन निष्कर्षों के आधार पर बैंक गारंटी दी गई. यदि केवल राजनीतिक आधार पर विशिष्ट कारखानों को मदद दी गई होगी तो हम उसे रद्द करेंगे. इसकी भी जांच की जाएगी कि बैंक गारंटी की जरूरत वाले अन्य अनेक कार्यकर्ता हैं, फिर इन चार कारखानों को ही मदद क्यों दी गई?
पूर्व सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा, नई सरकार ने शक्कर कारखानों की गारंटी रद्द करने का निर्णय लिया तो यह राजनीतिक प्रतिशोध ही होगा. हमारी सरकार ने इन कारखानों से संबंधित हजारों गन्ना उत्पादक किसानों को बर्बाद होने से बचाने के लिए बैंक गारंटी देने का निर्णय लिया था. अब यह गारंटी रद्द करने का और बाद में इन सहकारी शक्कर कारखानाों को निजी उद्योगपतियों को बेचने का षड्यंत्र इसके पीछे दिखाई दे रहा है.