उद्धव ठाकरे: एक अंतरमुखी नेता जिसने विपक्षियों से हाथ मिलाकर गठबंधन का जोखिम उठाया

By भाषा | Published: June 30, 2022 09:06 AM2022-06-30T09:06:55+5:302022-06-30T09:35:33+5:30

वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने 2005 में पार्टी छोड़ दी थी, राज ठाकरे ने भी पार्टी छोड़ी, लेकिन ऐसी विषम परिस्थियों में भी शिवसेना 2002, 2007, 2012 और 2017 में महत्वपूर्ण बृहन्मुंबई महानगरपालिका और ठाणे नगर निगम चुनाव जीतने में सफल रही।

Uddhav Thackeray An introvert leader who risked alliance by joining hands with opposition | उद्धव ठाकरे: एक अंतरमुखी नेता जिसने विपक्षियों से हाथ मिलाकर गठबंधन का जोखिम उठाया

उद्धव ठाकरे: एक अंतरमुखी नेता जिसने विपक्षियों से हाथ मिलाकर गठबंधन का जोखिम उठाया

Highlightsउद्धव ठाकरे को 2001 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया थापार्टी में उद्धव का कद बढ़ने के बाद से पार्टी में मतभेद पैदा होने लगे थेपार्टी संस्थापक के 2012 में निधन के बाद आलोचकों ने कहा था कि अब शिवसेना का अंत हो जाएगा

मुंबईः महाराष्ट्र में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि शिवसेना के शांत से दिखने वाले नेता उद्धव ठाकरे अपने पुराने सहयोगियों से दूरी बनाकर विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ सरकार बनाने का साहस दिखाएंगे। ठाकरे ने दोनों दलों के समर्थन से न सिर्फ सरकार बनाई बल्कि मुख्यमंत्री भी बने लेकिन ढाई वर्ष बाद उनकी सरकार पर संकट के बादल तब छा गए जब सहयोगियों ने नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी के विधायकों ने ही बगावत कर दी।

बड़ी संख्या में विधायक बागी नेता एकनाथ शिंदे के साथ हो लिए और संकट इतना गहरा गया कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा देना पड़ा। राज्य में जब राजनीतिक संकट जारी था तब 22 जून को ठाकरे ने फेसबुक पर सीधे प्रसारण में कहा था,‘‘ मैं जो भी करता हूं, चाहे वह मेरी इच्छा हो या नहीं...मैं पूरे इरादे के साथ उसे करता हूं।’’ उनकी यह दृढ़ता उनके पूरे करियर में दिखाई भी दी और इसके चलते शिवसेना को भी उतार-चढ़ाव देखना पड़ा।

उद्धव से ज्यादा राज ठाकरे को किया जाता था पसंद

शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के 2012 में निधन के बाद उद्धव ठाकरे ने पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष और प्रमुख का पद संभाला। बालासाहेब ठाकरे के इस सबसे छोटे बेटे को ‘दिग्गा’ के नाम से भी जाना जाता है और उन्होंने 1990 से ही पार्टी के कामकाज में पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। उद्धव को उनके चचरे भाई राज ठाकरे की जगह तरजीह देकर 2001 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि तेज तर्रार और सीधी बात करने वाले राज ठाकरे को सीधे सादे से दिखने वाले उद्धव की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता था।

उद्धव का कद बढ़ने के बाद से पार्टी में मतभेद पैदा होने लगे थे

पार्टी में उद्धव का कद बढ़ने के बाद से पार्टी में मतभेद पैदा होने लगे। वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने 2005 में पार्टी छोड़ दी थी, राज ठाकरे ने भी पार्टी छोड़ी, लेकिन ऐसी विषम परिस्थियों में भी शिवसेना 2002, 2007, 2012 और 2017 में महत्वपूर्ण बृहन्मुंबई महानगरपालिका और ठाणे नगर निगम चुनाव जीतने में सफल रही।

पार्टी के लिए उद्धव ठाकरे ने अपनी छवि बदली

पार्टी संस्थापक के 2012 में निधन के बाद आलोचकों ने कहा था कि अब शिवसेना का अंत हो जाएगा लेकिन उद्धव ठाकरे ने न सिर्फ पार्टी को संभाला बल्कि सीधे सादे नेता की अपनी छवि को भी बदला। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ विवाद के चलते शिवसेना ने पार्टी से किनारा कर लिया और विपक्षी दलों के समर्थन से सरकार बनाई। ठाकरे ने हाल ही में कहा था कि वह कभी भी मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक नहीं थे। 

Web Title: Uddhav Thackeray An introvert leader who risked alliance by joining hands with opposition

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