कठुआ मामलाः विशेष अदालत ने इसे ‘‘शर्मनाक, अमानवीय और बर्बर तरीके’’ से किया ‘‘घृणित और भयानक’’ अपराध बताया

By भाषा | Published: June 17, 2019 03:40 PM2019-06-17T15:40:42+5:302019-06-17T15:40:42+5:30

न्यायाधीश डॉ तेजविंदर सिंह ने 432 पृष्ठों के अपने फैसले की शुरुआत में कहा, ‘‘स्वर्ग और नरक का कोई भौगोलिक स्थान नहीं है, हमारे विचार, काम और चरित्र हमारे लिए स्वर्ग और नरक की स्थिति पैदा करते हैं।’’

The special court, hearing the Kathua rape and murder case, termed the crime "devilish and monstrous" committed in most "shameful, inhumane and barbaric manner". | कठुआ मामलाः विशेष अदालत ने इसे ‘‘शर्मनाक, अमानवीय और बर्बर तरीके’’ से किया ‘‘घृणित और भयानक’’ अपराध बताया

अदालत ने बचाव पक्ष की उस दलील को अस्वीकार कर दिया कि जांच दोषपूर्ण थी और किसी भी आरोपी के खिलाफ सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं है। 

Highlightsपठानकोट के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में 10 जून को छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।इस ‘‘घृणित और भयानक अपराध से समाज में शोक की लहर दौड़ गयी और इसलिए असली दोषी को सजा दिए जाने की जरूरत है।’’

जम्मू क्षेत्र के कठुआ में खानाबदोश समुदाय की आठ साल की लड़की की हत्या के मामले की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने इसे सबसे ‘‘शर्मनाक, अमानवीय और बर्बर तरीके’’ से किया ‘‘घृणित और भयानक’’ अपराध बताया और कहा कि इसके लिए दोषियों के साथ पूरा न्याय करने की जरूरत है।

पठानकोट के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में 10 जून को छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें सांजी राम, निलंबित पुलिसकर्मी दीपक खजुरिया और परवेश कुमार शामिल हैं। विशेष अदालत ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामले की सुनवाई की थी।

न्यायाधीश डॉ तेजविंदर सिंह ने 432 पृष्ठों के अपने फैसले की शुरुआत में कहा, ‘‘स्वर्ग और नरक का कोई भौगोलिक स्थान नहीं है, हमारे विचार, काम और चरित्र हमारे लिए स्वर्ग और नरक की स्थिति पैदा करते हैं।’’ इस आदेश की प्रति पीटीआई-भाषा के पास है।


उन्होंने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस ‘‘घृणित और भयानक अपराध से समाज में शोक की लहर दौड़ गयी और इसलिए असली दोषी को सजा दिए जाने की जरूरत है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि नाबालिग के खिलाफ किया अपराध ‘‘शर्मनाक, अमानवीय और बर्बर’’ है लेकिन रिकॉर्ड में लाए गए सबूतों को असली दोषियों का पता लगाने के लिए सच्चाई की कसौटी पर मापने की जरूरत है ताकि कोई निर्दोष इसकी चपेट में ना आ जाए।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे इस मामले में आरोपियों को झूठा फंसाना साबित हो।’’ अदालत ने ‘बकरवाल’ (खानाबदोश) समुदाय और स्थानीय निवासियों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बारे में पुलिस में दर्ज 11 मामले सूचीबद्ध किए और अन्य बयानों को रिकॉर्ड में लिया जिनसे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि जहां गत वर्ष 10 जनवरी को इस अपराध को अंजाम दिया गया वहां इलाके में साम्प्रदायिक तनाव व्याप्त था।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘बकरवाल समुदाय को इलाके के स्थानीय निवासी स्वीकार नहीं करते हैं जिससे दोनों समुदायों के बीच तनावपूर्ण संबंध बने और इससे इस अपराध के पीछे ठोस मकसद था।’’ अदालत ने बचाव पक्ष की उस दलील को अस्वीकार कर दिया कि जांच दोषपूर्ण थी और किसी भी आरोपी के खिलाफ सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं है। 

Web Title: The special court, hearing the Kathua rape and murder case, termed the crime "devilish and monstrous" committed in most "shameful, inhumane and barbaric manner".

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे