ऑटिस्टिक बच्चों के सामने रोजमर्रा के जीवन में पेश आने वाली दिक्कतों को दूर करने का है लक्ष्य: श्रीधर
By भाषा | Published: January 25, 2021 06:55 PM2021-01-25T18:55:50+5:302021-01-25T18:55:50+5:30
(जस्टिन राव)
पणजी, 25 जनवरी निर्देशक श्रीधर बीएस का कहना है कि उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ''इन आवर वर्ल्ड'' का मकसद ऑटिस्टिक (स्वीलन) बच्चों के प्रति समाज के भेदभाव पर प्रकाश डालने के साथ ही इस परिस्थिति में बच्चों के साथ सामान्य बातचीत को लेकर जागरूकता पैदा करना है ताकि उनके रोजमर्रा के जीवन में पेश आने वाली दिक्कतों को दूर किया जा सके।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 51वें संस्करण के दौरान तीन ऑटिस्टिक बच्चों के जीवन को पेश करने वाली इस फिल्म को गैर फीचर श्रेणी के तहत प्रदर्शित किया गया था। इस फिल्म के माध्यम से बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी को दर्शाया गया है।
51 मिनट अवधि की इस फिल्म में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (एएसडी) को समझने के लिए अभिभावकों और चिकित्सकों के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं।
श्रीधर ने कहा कि जब उनके बच्चों को पियानो सिखाने वाले शिक्षक ने विशेष बच्चों को संगीत सिखाने का जिक्र किया तो सबसे पहले वह ऐसे बच्चों पर संगीत के प्रभाव को समझना चाहते थे।
उन्होंने कहा, '' हमें उनके जीवन को दुनिया के सामने लाने की जरूरत है ताकि लोग समाज के भेदभावपूर्ण रवैये के कारण उनके समक्ष पेश आने वाली दिक्कतों को समझ सकें।''
इसके बाद श्रीधरन ने ऑटिस्टिक बच्चों को लेकर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का निर्णय लिया।
निर्देशक ने 2019 में मुंबई में रहने वाले ऑटिस्टिक बच्चों के अभिभावकों, शिक्षकों और चिकित्सकों से साक्षात्कार शुरू किया।
स्वालीनता (ऑटिस्टिक) विकास से जुड़ी एक गंभीर समस्या है जो बातचीत करने और दूसरे लोगों से जुड़ने की क्षमता को कम कर देती है।
ऑटिज्म तंत्रिका तंत्र पर असर करता है और प्रभावित व्यक्ति की बुद्धि, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर व्यापक रूप से असर करता है।
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