न्यायालय इस बात पर विचार करेगा कि क्या सोने की तस्करी को ‘आतंकवादी गतिविधि’ कहा जा सकता है
By भाषा | Updated: March 9, 2021 22:38 IST2021-03-09T22:38:10+5:302021-03-09T22:38:10+5:30

न्यायालय इस बात पर विचार करेगा कि क्या सोने की तस्करी को ‘आतंकवादी गतिविधि’ कहा जा सकता है
नयी दिल्ली, नौ मार्च उच्चतम न्यायालय ने इस प्रश्न पर विचार करने की सहमति जता दी है कि क्या सोने की तस्करी के अपराध को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत ‘आतंकवादी गतिविधि’ कहा जा सकता है।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ एक याचिका पर केंद्र तथा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को नोटिस जारी किया। राजस्थान उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसी द्वारा यूएपीए के तहत अपराधों के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने सोमवार को इस संबंध में नोटिस जारी करने का आदेश दिया था।
जयपुर अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन पर डेढ़ किलोग्राम से अधिक सोने की तस्करी करते हुए पकड़े गये याचिकाकर्ता मोहम्मद असलम ने एनआईए द्वारा यूएपीए के प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी, जांच और कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
वकील आदित्य जैन द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया कि मामला एनआईए को स्थानांतरित किये जाने के बाद उसने इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी कि असलम द्वारा सोने की तस्करी आर्थिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने तथा भारत में मौद्रिक स्थिरता को क्षति पहुंचाने की मंशा से की गयी थी।
असलम ने दलील दी कि सीमाशुल्क अधिकारियों द्वारा पहली प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद एनआईए द्वारा दर्ज दूसरी प्राथमिकी एकपक्षीय है और उसके खिलाफ आर्थिक आतंकवाद का प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता, जैसा कि आरोप है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता किसी आतंकवादी या किसी उग्रवादी समूह से जुड़ा नहीं पाया गया है और उसकी पृष्ठभूमि कहीं से संदिग्ध नहीं है।’’
असलम ने दावा किया कि वह मई 2018 से सऊदी अरब में ठेके पर मजदूरी का काम करता था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान उसकी नौकरी चली गयी।
याचिका के अनुसार, ‘‘अवसाद के इस समय में लाल मोहम्मद नाम के एक व्यक्ति ने मौजूदा याचिकाकर्ता से संपर्क साधा और उस पर जयपुर में एक अज्ञात शख्स को सोने की थोड़ी मात्रा पहुंचाने के लिए दबाव डाला और इसके एवज में उसे जयपुर लौटने का टिकट तथा 10,000 रुपये देने की पेशकश की गयी। वर्तमान याचिकाकर्ता बेरोजगार था और धन पाने के लिए बेचैन था, इसलिए वह लाल मोहम्मद के झांसे में आ गया और उसकी पेशकश को मान लिया।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।