मुंबई महानगरपालिका चुनाव में उद्धव गुट की नैया पार लगाने जायेंगे तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार

By एस पी सिन्हा | Published: November 24, 2022 03:11 PM2022-11-24T15:11:05+5:302022-11-24T15:12:28+5:30

आदित्य ठाकरे का बिहार दौरा का मुख्य मकसद महानगरपालिका चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का मदद मांगना था।

Tejashwi Yadav and Nitish Kumar will go to Mumbai for campaign of Uddhav faction in BMC elections | मुंबई महानगरपालिका चुनाव में उद्धव गुट की नैया पार लगाने जायेंगे तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार

मुंबई महानगरपालिका चुनाव में उद्धव गुट की नैया पार लगाने जायेंगे तेजस्वी और नीतीश

पटना: शिवसेना (उद्धव गुट) नेता आदित्य ठाकरे के पहली बार बिहार दौरे के बाद सियासत गर्मा गई है। दरअसल, मुंबई महानगरपालिका चुनाव में शिवसेना (उद्धव गुट) को फिर से जीतने के लिए बिहारियों का वोट मिलना जरूरी है। इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपनी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। 

सूत्रों के अनुसार आदित्य ठाकरे का बिहार दौरा का मुख्य मकसद महानगरपालिका चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का मदद मांगना था। इसी कड़ी में उन्होंने पटना आने के बाद तेजस्वी यादव के साथ जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से महानगरपालिका चुनाव के लिए मदद की गुहार लगाई और दोनों नेताओं को मुंबई आने का न्यौता भी दिया। 

इन दोनों नेताओं ने बदली परिस्थिती को देखते हुए उन्हें मुंबई में उत्तर भारतीय लोगों का समर्थन दिलाने का वादा भी किया। शायद यही कारण रहा कि आदित्य ठाकरे के वापस लौट जाने के बाद तेजस्वी ने कहा कि महाराष्ट्र में महानगरपालिका के चुनाव में हम सभी जाएंगे। ऐसे में जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के मुंबई महानगरपालिका चुनाव में जाने से शिवसेना (उद्धव गुट) के लिए फायदे वाला हो सकता है। 

इसका कारण यह है कि मुंबई में उत्तर भारतीय लोग बडी संख्या में रहते हैं और कई सीटों पर उनकी भूमिका निर्णायक भी है। बता दें कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव पर शिव सेना (उद्धव गुट) का कब्जा है और आगामी चुनाव में बिहारी मतदाताओं पर उसकी नजर है। कारण कि महाराष्ट्र में बदले सियासी समीकरण में शिव सेना दो भागों में विभक्त हो चुकी है और शिव सेना (शिन्दे गुट) भी अपनी अच्छी पकड़ बनाये हुए है। ऐसे में महानगरपालिका चुनाव दोनों गुटों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। 

इस बीच भाजपा ने तंज कसते हुए पुरानी बातों की याद दिलाई है। भाजपा का कहना है कि 2008 में लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। उन्होंने मनसे के साथ शिवसेना पर भी क्षेत्रवाद का जहर फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने हमले के खिलाफ बिहार के सांसदों से त्यागपत्र की भी अपील की थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जबर्दस्त प्रतिकार किया था। नीतीश ने हमले रोकने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। यही नही कट्टर हिन्दुत्व से लेकर धर्मनिरपेक्षता की बातें होती रही हैं। ऐसे में दोनों का साथ आना शिव सेना के लिए कहां तक फायदेमंद होगा यह तो वक्त ही बतायेगा।

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