Jallikkattu: तमिलनाडु सरकार ने कोविड प्रतिबंध के साथ दी जलीकट्टू की अनुमति, जानें अब कैसे होगा इस खतरनाक खेल का आयोजन
By रुस्तम राणा | Published: January 10, 2022 04:03 PM2022-01-10T16:03:48+5:302022-01-10T16:09:45+5:30
सरकार के द्वारा आयोजन में केवल 150 दर्शक या 50% बैठने की क्षमता दोनों में से जो भी कम हो उसकी अनुमति दी गई। इसके साथ ही वैक्सीन की दोनों डोज़ का सर्टिफिकेट या आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है जो कि 48 घंटे से ज़्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए।
चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने कोविड -19 के खतरे के बीच सोमवार को 'जल्लीकट्टू' कार्यक्रम की अनुमति दे दी है। हालांकि राज्य सरकार ने यह आयोजन की अनुमति कोविड प्रतिबंध के साथ दी है। सरकार के द्वारा आयोजन में केवल 150 दर्शक या 50% बैठने की क्षमता दोनों में से जो भी कम हो उसकी अनुमति दी गई। इसके साथ ही वैक्सीन की दोनों डोज़ का सर्टिफिकेट या आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है जो कि 48 घंटे से ज़्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए।
राज्य सरकार ने कहा कि केवल दो लोगों - बैल के मालिक और एक सहायक - को प्रत्येक बैल के साथ अखाड़े के अंदर जाने की अनुमति होगी। साथ ही, जिला प्रशासन दो लोगों को पहचान पत्र प्रदान करेगा और बिना कार्ड वालों को रिंग के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। बता दें कि तमिलनाडु राज्य में जलीकट्टू एक पारंपरिक बैल को काबू करने का खेल है जिसे आमतौर पर जनवरी में पोंगल के त्योहार के दौरान आयोजित किया जाता है।
#Omicron: Tamil Nadu Govt issues SOP for Jallikattu events, allows only 150 spectators or 50% of seating capacity (whichever is less)
— ANI (@ANI) January 10, 2022
Full vaccination or negative RT-PCR test report not older than 48 hours a must
(File photo) pic.twitter.com/vZip5GIdzY
पोंगल पर होने वाला जलीकट्टू बेहद खतरनाक खेल माना जाता है। इस पर रोक लगाने की भी बात होती रही है। सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश इस संबंध में कुछ साल पहले आया था लेकिन तमिलनाडु के कई हिस्सों में ये आज भी आयोजित किया जाता है। यह दरअसल फुर्ती और ताकत का खेल है। इसकी तैयारी तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में कई महीने पहले से शुरू ह जाती है। जली का अर्थ होता है 'सिक्का ' और कट्टू का मतलब है 'बंधा हुआ'।
इस खेल के दौरान सांड़ के सींग में कपड़ा बांधा होता है। इस कपड़े में पुरस्कार की राशि बांधी जाती है। इसके बाद खेल शुरू करते हुए सांड़ को भीड़ में छोड़ दिया जाता है और युवक पुरस्कार राशि को हासिल करने के लिए सांड़ के कुबड़ को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश करते हैं।
इस खेल में प्रतियोगी सांड के कुबड़ को तब तक पकड़े रखना होता है, जब तक कि वह वश में न आ जाये।खास बात ये है कि इस खेल के लिए सांड को एक साल से ज्यादा वक्त तक से तैयार किया जाता है। जलीकट्टू खेल के बाद कमजोर सांड़ों का उपयोग घरेलू कार्यों में लगा दिया जाता है जबकि मजबूत सांड का उपयोग गाय के साथ अच्छे नस्ल के प्रजनन के काम में लगाया जाता है।