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सभी को कोविड-19 टीकों एवं दवाओं की उपलब्धता के लिए स्वदेशी जागरण मंच का हस्ताक्षर अभियान

By भाषा | Updated: May 17, 2021 20:02 IST

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नयी दिल्ली, 17 मई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आनुषागिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है जिसमें सरकार से और दवा कंपनियों को कोविड-19 टीकों एवं दवाओं के उत्पादन के लिए अनिवार्य लाईसेंस देने के लिए अपने संप्रभु अधिकारों का इस्तेमाल करने की अपील की गयी है।

मंच ने सोमवार को कहा, ‘‘मानवता इन दिनों कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते भयंकर चिकित्सा संकट से जूझ रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए देश को पर्याप्त टीकों, दवाइयों और भिन्न भिन्न प्रकार के चिकित्सा उपकरणों की जरूरत है। पेंटेंट सुरक्षा इन दवाओं के जेनेरिक उत्पादन में एक बड़ी बाधा है। ’’

उसने लोगों से उसके प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने की अपील की जिसमें ‘‘सरकार से अन्य दवा कंपनियों को टीकों एवं दवाइयों के उत्पादन के लिए अनिवार्य लाइसेंस देने के लिए अपने संप्रभु अधिकारों के इस्तेमाल समेत जरूरी कदम उठाने का’’ अनुरोध किया गया है।

मंच ने कहा कि उसका ‘‘दृढ़ विश्वास’’ है कि कई भारतीय कंपनियों के पास जरूरी दवाइयों एवं टीकों के उत्पादन की क्षमता एवं विशेषज्ञता है बशर्ते बौद्धिक संपदा अधिकार बाधा दूर की जाए, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की जाए एवं व्यापार गोपनीयता मुद्दा हल किया जाए।

उसने कहा कि वैसे तो कई भारतीय कंपनियां पहले से ही स्वैच्छिक लाइसेंस के तहत रेमडेसिविर बना रही हैं लेकिन मांग को पूरा करने के लिए यह मात्रा काफी नहीं है तथा उपलब्धता की दृष्टि से दाम भी ‘बहुत ज्यादा’ है।

मंच ने कहा कि वह समझता है कि सरकार को आने वाले दिनों में पेंटेंट कानून में जन स्वास्थ्य सुरक्षामानकों का इस्तेमाल करने तथा और कंपनियों को इन दवाओं का उत्पादन करने की अनुमति देने की जरूरत है ।

उसने कहा, ‘‘ चूंकि हमें अगले छह महीने में टीके की करीब दो अरब खुराक की जरूरत हो सकती है, इसिए हमें इन टीकों के विनिर्माण में और कई कपंनियों को शामिल करने की जरूरत है।’’

मंच ने कहा, ‘‘यह कहते हुए खुशी है कि कोवैक्सीन एवं रेमडेसिविर के लिए पहले ही कई कपंनियों को लाइसेंस दिया गया है। हमें इन प्रयासों को कई गुणा बढ़ाना पड़ सकता है।’’

उसने कोविड-19 से निपटने के लिए जरूरी सभी चिकित्सा उत्पादों को ‘वैश्विक जन वस्तु’ घोषित करने और इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों की सेवा के लिए ‘मुनाफाखोरी’ पर विराम लगाने की अपनी मांग दोहरायी।

मंच के इस हस्ताक्षर अभियान में विश्व व्यापार संगठन से बौद्धिक संपदा अधिकारों की व्यापार संबंधी पहलुओं प्रावधानों को हटाने की अपील की गयी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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