हैप्पी बर्थडे सुरेश प्रभु: 4 बार शिव सेना के टिकट पर बने सांसद, ऐसे जीता था नरेंद्र मोदी का दिल
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 11, 2018 10:06 AM2018-07-11T10:06:03+5:302018-07-11T10:06:03+5:30
सुरेश प्रभु पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे। शिव सेना के नेता होने के बावजूद प्रभु अटल बिहारी और नरेंद्र मोदी दोनों के करीबी माने जाते रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री और पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेट सुरेश प्रभु का आज जन्मदिन है। 11 जुलाई 1953 को जन्मे सुरेश प्रभु नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे काबिल मंत्रियों में गिने जाते हैं। जब नवंबर 2014 में नरेंद्र मोदी मंत्रिमण्डल में शामिल हुए। पीएम मोदी ने प्रभु को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी।
प्रभु ने ट्विटर पर लोगों की शिकायतों के त्वरित निपटारे, भूखे बच्चों के लिए चलती ट्रेन में दूध पहुँचवाने जैसे कामों से काफी लोकप्रियता अर्जित की। लेकिन प्रभु के राज में रेल यात्रा महँगी हुई। ये आरोप भी लगे की रेल दुर्घटनाएँ भी बढ़ गयी थीं। प्रभु की रेल मंत्री के रूप में खराब होती छवि का ही शायद नतीजा था कि मोदी मंत्रिमण्डल के फेरबदल में उनसे रेल मंत्रालय लेकर वाणिज्य और नागरिक उड्डयन मंत्रालय सौंप दिया गया।
सुरेश प्रभु पहली बार 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे। वाजपेयी सरकार में उन्होंने उद्योग मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय इत्यादि का कामकाज देखा। करीब 10 साल बाद जब दोबारा बीजेपीनीत एनडीए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रभु की सेंट्रल कैबिनेट में वापसी हुई। आज सुरेश प्रभु जिस तरह बीजेपी के कोर टीम के हिस्सा माने जाते हैं उसे देखकर कम ही लोग को यकीन होगा कि प्रभु बीजेपी में साल 2014 में ही शामिल हुए हैं।
सुरेश प्रभु का राजनीतिक करियर 1996 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में की राजापुर संसदीय क्षेत्र से शिव सेना के टिकट पर लोक सभा चुनाव जीता। इस सीट से सुरेश प्रभु ने 1998, 1999 और 2004 में लोक सभा चुनाव जीता। सुरेश प्रभु को पहली बार 2009 में राजापुर सीट से हार का सामना करना पड़ा। फिलहाल सुरेश प्रभु आंध्र प्रदेश से राज्य सभा सांसद हैं।
सुरेश प्रभु ने ऐसे जीता नरेंद्र मोदी का दिल
माना जाता है कि नरेंद्र मोदी की नजरों में सुरेश प्रभु की छवि पहले से अच्छी थी लेकिन साल 2013 में प्रभु ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने दोनों के सम्बन्धों को नई दिशा दी। साल 2013 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
सीएम के रूप में मोदी को व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक फ़ोरम में बीज भाषण देने के लिए बुलाया गया था। कुछ लोगों ने नरेंद्र मोदी के व्हार्टन स्कूल में आने का विरोध किया तो स्कूल ने ये बीज भाषण रद्द कर दिया।
उस कार्यक्रम में सुरेश प्रभु को भी वक्ता के तौर पर शामिल होना था। नरेंद्र मोदी का बीज भाषण रद्द किये जाने पर सुरेश प्रभु ने विरोध स्वरूप कार्यक्रम का बहिष्कार किया। माना जाता है कि सुरेश प्रभु के अपने इस फैसले से नरेंद्र मोदी का दिल जीत लिया था। शायद यही वजह है कि नरेंद्र मोदी का सुरेश प्रभु पर भरोसा आज तक कायम है।
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