सुप्रीम कोर्ट ने शरजील इमाम की याचिका पर सुनवाई करते हुए उमर खालिद केस के संबंध दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी को नकारा, कहा- 'ऐसा तब होता जब गुण-दोष के आधार पर एक अपील होती'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 9, 2022 08:05 PM2022-12-09T20:05:36+5:302022-12-09T20:09:35+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने शरजील इमाम की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उसके ट्रायल में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उमर खालिद केस में उसके खिलाफ की टिप्पणी का कोई असर नहीं होगा। हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणी अपनी जगह पर यथावत है लेकिन शरजील केस में उसके जिक्र का आचित्य नहीं है।
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शरजील इमाम केस की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को उसके वकील को भरोसा दिलाया कि सर्वोच्च अदालत दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा शरजील इमाम के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणी को नहीं देखेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जेएनयू छात्र शारजील इमाम के संबंध में की गई दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर कहा कि उसके मामले में लंबित केस में इसका कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणी अपनी जगह पर यथावत है और उसका शरजील के ट्रायल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया कि पूर्वोत्तर दिल्ली में फरवरी 2020 के दंगों में बतौर कथित साजिशकर्ता उमर खालिद के साथ सह आरोपी शरजील इमाम के खिलाफ की गई दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी का असर उसके केस पर नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा 18 अक्टूबर के दिये उमर खालिद के फैसले में शरजील इमाम के खिलाफ की गई टिप्पणी यहां कही गई दलीलों में शामिल नहीं की जाएगी। कोर्ट में जस्टिस कौल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कहा, "ऐसा उस परिस्थिती में होता है, जब लोग जमानत आवेदनों पर बहस करते हैं लेकिन इस केस में गुण-दोष के आधार पर अपील की गई है, इस कारण इसमें दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी मायने नहीं रखती है।"
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में शरजील के बारे में कहा था कि वह अन्य सह-आरोपियों के साथ लगातार संपर्क में था और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सच हैं। चार्जशीट को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट होता है कि अपीलकर्ता (उमर खालिद) शारजील इमाम सहित अन्य सह-अभियुक्तों के लगातार संपर्क में था, जो यकीनन दिल्ली दंगों के कथित साजिशकर्ता हैं।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर कोर्ट यह राय नहीं बना सकती है कि और न ही उसके पास यह मानने के लिए उचित आधार नहीं हैं कि याचिकाकर्ता (शरजील इमाम) के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप साबित होते हैं। सुप्रीम कोर्ट में इमाम की ओर से सुनवाई के लिए पेश हुए वकील ने जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच से कहा कि वे इस कारण सुप्रीम कोर्ट में आने को मजबूर हुए हैं क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा किसी एक को जमानत देने से इनकार करने के संबंध में की गई टिप्पणियों के कारण याचिकाकर्ता के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह पैदा कर रही है और इस कारण याचिकाकर्ता शरजील इमाम का ट्रायल प्रभावित हो सकता है।