15-20 फीसदी महंगे होने के बाद भी इस शहर में बिक गए सौ करोड़ के पटाखे
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 12, 2018 02:22 PM2018-11-12T14:22:16+5:302018-11-12T14:22:16+5:30
लाइसेंस में विलंब पर्यावरण के प्रदूषण को थामने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी निर्देशों के कारण पटाखों की बिक्री में कमी होने की संभावना व्यक्त की गई थी.
नागपुर, 12 नवंबर: इस बार दिवाली उत्सव के दौरान महंगाई होने के बाद भी बड़े पैमाने पर पटाखों की आतिशबाजी हुई. कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि, कामगारों का संकट, बढ़ी हुई मजदूरी, बिजली दरों में इजाफा, डीजल के कारण बढ़े परिवहन खर्च के कारण इस बार पटाखों के दाम 15 से 20 फीसदी बढ़े हुए थे. इसके बाद भी नागपुर में हुई पटाखों की बिक्री में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि दर्ज की गई. इस बार नागपुर जिले में पटाखों की दिवाली सौ करोड़ की होने का अनुमान थोक और चिल्लर विक्रेताओं ने 'लोकमत समाचार' के साथ बातचीत में व्यक्त किया है.
लाइसेंस में विलंब पर्यावरण के प्रदूषण को थामने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी निर्देशों के कारण पटाखों की बिक्री में कमी होने की संभावना व्यक्त की गई थी. दिवाली के पांच दिन पहले तक ग्राहक बाजार में भटके तक नहीं. लेकिन लक्ष्मीपूजन के दो दिन पहले पटाखों की खरीद के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी. पुलिस की ओर से दिवाली के कुछ दिन पहले ही पटाखों की बिक्री का लाइंसेंस जारी करने से अनेकों को दुकान सजाने में काफी अड़चनें आईं.
चिल्लर विक्रेताओं को लाइसेंस मिलने के बाद थोक की खरीदी शुरुआत हुई. रेशिमबाग, तुलसीबाग के पटाखा विक्रेता सैयदभाई ने कहा कि लाइसेंस विलंब से मिलने के बाद भी बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है. हर वर्ष की तरह इस बार भी ग्राहकों ने उत्साह के साथ पटाखों की खरीदी की. कच्चा माल महंगा एक पटाखा उत्पादक ललित कारटवटकर ने बताया कि पटाखा बनाने के लिए बेरियम नाइट्रेट, अमोनियम नाइट्रेट, एल्युमीनियम पाउडर, कॉपर कोटेड वायर, सल्फर, रद्दी पेपर और सुतली का उपयोग किया जाता है.
इनमें से कई वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं. इसके अलावा कामगारों की बढ़ी हुई मजदूरी और डीजल-पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण परिवहन खर्च बढ़ गया. उन्होंने कहा कि इस बार पटाखा बनानेवालों को कीमतों में इजाफा करने के अलावा कोई पर्याय नहीं बचा था. उच्चतम न्यायालय का आदेश पर्यावरण प्रेमियों की जनजागृति कुछ विक्रेताओं ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को लेकर रात दस बजे के बाद पटाखों की आतिशबाजी पर उच्चतम न्यायालय का प्रतिबंध का आदेश तथा पर्यावरण प्रेमियों की जनजागृति का असर पटाखों की बिक्री पर दिखा है.
पटाखों में अनार, सुतली बम, चकरी और फुलझड़ी आदि की सर्वाधिक बिक्री होती है. व्यापारियों ने बताया कि इस बार बड़े आवाज के पटाखों के बदले में फैंसी, बिना आवाज, रंगों को बिखेरने वाले कम आवाज के पटाखों की तरफ नागरिकों का झुकाव ज्यादा रहा. उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्ष से पटाखा उत्पादक कंपनियों ने बड़े आवाज वाले पटाखों का उत्पादन कम कर दिया है.
पटाखों पर देवी-देवताओं के चित्रों का उपयोग करना भी बंद कर दिया गया है. व्यापारियों ने बताया कि कुल मिलाकर न्यायालय के प्रतिबंध और नागरिकों में हुई जागृति के कारण पटाखों की बिक्री में अब आगे और वृद्धि होने की संभावना नहीं है. पंचमी तक बिक्री हर वर्ष की तरह इस बार भी पटाखे बेचे गए. बाजार में उत्साह था.
सर्वाधिक बिक्री लक्ष्मीपूजन की पूर्व संध्या पर हुई. पटाखों की बिक्री लक्ष्मीपूजन से पंचमी तक होती है. हम पटाखों का उत्पादन करते हैं, इसकी वजह से कुल कारोबार का अनुमान लग जाता है. इस बार नागपुर जिले में सौ करोड़ के पटाखों की बिक्री होने का थोक विक्रेताओं का अनुमान है. नागपुर में पटाखा बनाने वाले उत्पादक हैं. लगभग 20 थोक विक्रेता और 300 चिल्लर विक्रेताओं के माध्यम से पटाखों की बिक्री होती है. लगभग 90 फीसदी आवक तमिलनाडु के शिवाकाशी से होती है. नागपुर में हर वर्ष बिक्री में वृद्धि होती रही है.