हमारी संस्कृति है कोई खाली पेट नहीं सोए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-एनएसएफएस खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, जानें मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 6, 2022 06:06 PM2022-12-06T18:06:19+5:302022-12-06T18:07:15+5:30

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एनएफएसए के तहत 81.35 करोड़ लाभार्थी हैं, जो भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी काफी बड़ी संख्या है।

Supreme Court said It is our culture that no one sleeps empty stomach NSFS food grains reach the last person | हमारी संस्कृति है कोई खाली पेट नहीं सोए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-एनएसएफएस खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, जानें मामला

ईश्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या के साथ ताजा सारणी जमा करें।

Highlights14 राज्यों ने हलफनामे दाखिल कर कहा है खाद्यान्न का कोटा खत्म हो चुका है।मामले में अब आठ दिसंबर को सुनवाई होगी। ईश्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या के साथ ताजा सारणी जमा करें।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हमारी संस्कृति है कि किसी को भूखा नहीं सोना चाहिए। उसने केंद्र सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएसएफएस) के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि ईश्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या के साथ ताजा सारणी जमा करें। पीठ ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि एनएफएसए के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। हम ऐसा नहीं कह रहे कि केंद्र कुछ नहीं कर रहा।

केंद्र सरकार ने कोविड के दौरान लोगों तक अनाज पहुंचाया है। हमें यह भी देखना होगा कि यह जारी रहे। हमारी संस्कृति है कि कोई खाली पेट नहीं सोए।’’ पीठ कोविड महामारी तथा उसके बाद लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की हालत से संबंधित विषय पर स्वत: एक जनहित मामले पर सुनवाई कर रही थी।

सामाजिक कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 2011 की जनगणना के बाद देश की आबादी बढ़ गयी है और उसके साथ ही एनएफएसए के दायरे में आने वाले लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ गयी है।

उन्होंने कहा कि यदि कानून को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया तो कई पात्र और जरूरतमंद लाभार्थी इसके फायदों से वंचित रह जाएंगे। भूषण ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि लोगों की प्रति व्यक्ति आय पिछले कुछ साल में बढ़ गयी है, लेकिन भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक में तेजी से नीचे आ गया है।

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एनएफएसए के तहत 81.35 करोड़ लाभार्थी हैं जो भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी काफी बड़ी संख्या है। भूषण ने कहा कि 14 राज्यों ने हलफनामे दाखिल कर कहा है कि उनका खाद्यान्न का कोटा खत्म हो चुका है। मामले में अब आठ दिसंबर को सुनवाई होगी। 

Web Title: Supreme Court said It is our culture that no one sleeps empty stomach NSFS food grains reach the last person

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