मुफ्त वितरण एक 'गंभीर मुद्दा', इससे अर्थव्यवस्था का पैसा डूब रहा है: सर्वोच्च न्यायालय

By शिवेंद्र राय | Published: August 11, 2022 02:02 PM2022-08-11T14:02:00+5:302022-08-11T14:03:33+5:30

भाजपा नेता और सर्वोच्च न्यायालय के वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने मुफ्त सुविधाओं के चुनावी वादों पर टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा है कि यह एक गंभीर मामला है जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है।

Supreme Court said freebies distribution a serious issue | मुफ्त वितरण एक 'गंभीर मुद्दा', इससे अर्थव्यवस्था का पैसा डूब रहा है: सर्वोच्च न्यायालय

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsमुफ्त में सुविधाएं देने के चुनावी वादों पर सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाईसर्वोच्च न्यायालय ने मामले को गंभीर मानाकहा, लोक कल्याण की योजनाओं और मुफ्त सुविधाओं को संतुलित करना होगा

नई दिल्ली: राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने के चुनावी वादों के खिलाफ दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि चुनावो के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार का वादा और वितरण "एक गंभीर मुद्दा" है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। शीर्ष अदालत अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चुनावों से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए 'मुफ्त' का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका में चुनाव घोषणापत्र को विनियमित करने और उसमें किए गए वादों के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया है।

बार एंड बेंच के अनुसार इस मामले की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा,  "कोई नहीं कहता कि यह कोई मुद्दा नहीं है। यह एक गंभीर मुद्दा है। जिन्हें सुविधाएं मिल रही हैं वह इसे पाना चाहते हैं और हम एक कल्याणकारी राज्य हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि वे करों का भुगतान कर रहे हैं और इसका उपयोग विकास प्रक्रिया के लिए किया जाना है। तो यह एक गंभीर मुद्दा है। इसलिए समिति को दोनों पक्षों को सुनना पड़ेगा।"

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां गरीबी है और केंद्र सरकार की भी भूखों को खिलाने की योजना है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोक कल्याण की योजनाओं और मुफ्त सुविधाओं को संतुलित करना होगा। शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को करेगी।

बहस का केंद्र बन गया है रेवड़ी कल्चर

बता दें कि चुनावों के दौरान मुफ्त सुविधाएं देने के वादों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ी कल्चर कहा था। प्रधानमंत्री कई बार खुले मंच से इसकी आलोचना कर चुके हैं। हाल ही में हरियाणा के पानीपत में एथेनॉल प्लांट के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि देश के विकास के लिए यह जरूरी है कि सरकार के पैसा हो और तभी वह निवेश कर सकेगी। उन्होंने कहा कि हर चीज मुफ्त में उपलब्ध कराने का वादा करने वाले देश के बच्चों का भविष्य छीन लेंगे।

Web Title: Supreme Court said freebies distribution a serious issue

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