बागी आप MLA देवेन्द्र सहरावत को सुप्रीम झटका, कोर्ट ने कहा कि आप विधानसभा अध्यक्ष के पास जाइए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 28, 2019 12:40 PM2019-06-28T12:40:11+5:302019-06-28T12:40:11+5:30
सहरावत के कथित रूप से भाजपा में शामिल होने पर सचिवालय ने उन्हें यह नोटिस दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाश पीठ ने विधायक देवेन्द्र सहरावत के वकील से कहा कि अयोग्यता के बारे में कार्यवाही के दौरान वह विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विधान सभा सचिवालय द्वारा आम आदमी पार्टी के बागी विधायक देवेन्द्र सहरावत को दल बदल कानून के तहत दी गयी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई से इंकार कर दिया।
सहरावत के कथित रूप से भाजपा में शामिल होने पर सचिवालय ने उन्हें यह नोटिस दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाश पीठ ने विधायक देवेन्द्र सहरावत के वकील से कहा कि अयोग्यता के बारे में कार्यवाही के दौरान वह विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं।
Supreme Court refuses to interfere with the petition filed by Aam Aadmi Party (AAP) legislator, Devinder Sehrawat, who had challenged the disqualification notice issued to him by the Delhi Assembly Speaker under the anti-defection law. pic.twitter.com/5vq53laI2f
— ANI (@ANI) June 28, 2019
पीठ ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई करने की इच्छुक नहीं है। इसके बाद सहरावत के वकील ने याचिका वापस ले ली। बिजवासन विधानसभा सीट से विधायक सहरावत ने शीर्ष अदालत में दायर याचिका में दावा किया था कि उन्होंने अभी तक भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण नहीं की है और उन्हें अयोग्य करार देने का नोटिस एकपक्षीय और गैर कानूनी है।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने दल बदल कानून के तहत दो विधायकों देवेन्दर सहरावत और अनिल बाजपेयी को अयोग्य घोषित करने के लिये विधान सभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर कर रखी है।
भारद्वाज ने याचिका में कहा था कि ये दोनों सदस्य भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं। इसके बाद विधान सभा सचिवालय ने सहरावत के अलावा आप के एक अन्य बागी विधायक अनिल बाजपेयी को भी नोटिस जारी किया था। बिजवासन सीट से निर्वाचित सहरावत और गांधी नगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बाजपेयी को विधान सभा अध्यक्ष ने अपना जवाब दाखिल करने के लिये एक सप्ताह का वक्त दिया है।