अडानी समूह को सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने दी क्लीन चिट, प्रथम दृष्टया में पाया कोई उल्लंघन नहीं हुआ
By रुस्तम राणा | Published: May 19, 2023 03:23 PM2023-05-19T15:23:57+5:302023-05-19T15:42:59+5:30
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने कहा कि प्रथम दृष्टया में ऐसा प्रतीत होता है कि अडानी समूह द्वारा कीमतों में कोई हेरफेर नहीं किया गया है। एक ही पक्ष के बीच कई बार कृत्रिम व्यापार या वॉश ट्रेड का कोई पैटर्न नहीं पाया गया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में अडानी समूह को क्लीन चिट दे दी। पैनल ने कहा कि प्रथम दृष्टया में ऐसा प्रतीत होता है कि अडानी समूह द्वारा कीमतों में कोई हेरफेर नहीं किया गया है। एक ही पक्ष के बीच कई बार कृत्रिम व्यापार या वॉश ट्रेड का कोई पैटर्न नहीं पाया गया और न ही गलत व्यापार का कोई सुसंगत स्वरूप प्रकाश में आया है।
हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच कर रहे शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने कहा कि एमपीएस (न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता) अनुपालन पर कोई उल्लंघन नहीं पाया गया। समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नियामक यह साबित करने में सक्षम नहीं है कि उसके संदेह को उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चलाने के एक ठोस मामले में परिवर्तित किया जा सकता है।
पैनल यह भी कहा कि अडानी ने खुदरा निवेशकों को राहत देने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। अनुभवजन्य डेटा से पता चलता है कि अडानी के शेयरों में खुदरा निवेश 24 जनवरी के बाद कई गुना बढ़ गया है, समूह द्वारा उपायों को कम करने से स्टॉक में विश्वास पैदा करने में मदद मिली और स्टॉक अब स्थिर हैं। सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने यह माना है कि पार्टियों ने शपथ पर पुष्टि की है कि एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) निवेश अदानी समूह द्वारा वित्त पोषित नहीं हैं।
आपको बता दें कि अडानी हिंडनबर्ग विवाद को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया था। विपक्ष ने मोदी सरकार पर अडानी समूह को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। बजट सत्र में भी इस मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में खूब गहमागहमी देखने को मिली थी। उधर, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अडानी समूह को शेयर बाजार में नुकसान भी उठाना पड़ा था। हालांकि समूह शुरू से ही रिपोर्ट पर लगाए गए आरोप को खारिज कर रहा था।