सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मौत में मुआवजे के फर्जी दावों पर जताई चिंता, डॉक्टरों के दिये फर्जी सर्टिफिकेट हुआ गंभीर, दे सकता है कैग को जांच का आदेश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 14, 2022 01:43 PM2022-03-14T13:43:54+5:302022-03-14T13:52:18+5:30

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि कोविड से हुई मौत के संबंध में इस तरह के फर्जी दावे आ सकते हैं। इस योजना का दुरुपयोग किया जा सकता है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सुझाव दिया कि कथित फर्जी मौत के दावों की जांच महालेखा परीक्षक कार्यालय से कराई जा सकती है।

Supreme Court expresses concern over fake claims of compensation in death related to Kovid, may get investigation done by CAG | सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मौत में मुआवजे के फर्जी दावों पर जताई चिंता, डॉक्टरों के दिये फर्जी सर्टिफिकेट हुआ गंभीर, दे सकता है कैग को जांच का आदेश

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने कोविड मौत के मुआवजे के फर्जी दावों के संबंध में दायर एक मामले में सुनवाई की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि फर्जी दावे से योजना का दुरुपयोग किया जा रहा हैसुप्रीम कोर्ट ने कोविड संबंधी मौत में डॉक्टरों द्वारा दिया गये फर्जी सर्टिफिकेट पर गंभीर चिंता जताई

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोविड से हुई मौत के संबंध में मुआवजे के फर्जी दावों पर अपनी चिंता जताई और कहा कि वह इस मामले में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को जांच का निर्देश दे सकता है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह सुझाव भी दिया कि कथित फर्जी मौत के दावों की जांच महालेखा परीक्षक कार्यालय को सौंपी जा सकती है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के फर्जी दावे आ सकते हैं। इस योजना का दुरुपयोग किया जा सकता है।

सर्वोच्च अदालत की पीठ ने यह भी कहा कि अगर इसमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं तो यह बहुत गंभीर है। मामले में दलील पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील गौरव कुमार बंसल ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 52 की ओर इशारा किया, जो इस तरह की चिंताओं को दूर करता है। जस्टिस शाह ने कहा, क्या हमें शिकायत दर्ज करने के लिए किसी की आवश्यकता है।

एक वकील ने राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा मुआवजे के दावों की रैंडम जांच करने का सुझाव दिया। बच्चों को मुआवजे के पहलू पर सुप्रीम कोर्टने स्पष्ट किया कि उसके द्वारा आदेशित 50,000 रुपये का अनुग्रह भुगतान कोविड -19 के कारण प्रत्येक मृत्यु के लिए किया जाना है, न कि प्रभावित परिवार के प्रत्येक बच्चे को।

7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों द्वारा कोविड की मौतों के लिए अनुग्रह मुआवजे का दावा करने के लिए लोगों को नकली चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह इस मामले की जांच का आदेश दे सकता है।

केंद्र ने प्रस्तुत किया था कि कोविड की मृत्यु से संबंधित दावों को प्रस्तुत करने के लिए एक बाहरी सीमा तय की जा सकती है अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन हो जाएगी।

केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील तुषार मेहता ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों को डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए नकली चिकित्सा प्रमाण पत्र मिले हैं। मेहता ने यह भी बताया कि कुछ मामलों में डॉक्टर के प्रमाण पत्र के माध्यम से अनुग्रह मुआवजे पर शीर्ष अदालत के आदेश का दुरुपयोग किया गया है।

फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा, चिंता की बात यह है कि डॉक्टरों द्वारा दिया गया फर्जी सर्टिफिकेट बहुत गंभीर बात है।

अदालत ने तुषार मेहता की इस दलील से भी सहमति जताई कि कोविड की मौत के दावों को दर्ज करने की समय सीमा होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि कुछ समय-सीमा होनी चाहिए अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन रूप से चलती रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता गौरव बंसल द्वारा कोविड पीड़ितों के परिवारों को राज्य सरकारों द्वारा अनुग्रह मुआवजे के वितरण के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कोविड -19 मौतों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के वितरण की निगरानी भी कर रहा है।

Web Title: Supreme Court expresses concern over fake claims of compensation in death related to Kovid, may get investigation done by CAG

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