सुप्रीम कोर्ट में आम्रपाली मामलाः कोर्ट ने कहा देश में क्या हो रहा है, कुछ पावरफुल लोग ऑर्डर को बदलने की कोशिश कर रहे हैं

By सतीश कुमार सिंह | Published: May 9, 2019 04:10 PM2019-05-09T16:10:18+5:302019-05-09T16:10:18+5:30

Supreme Court: Corporates seem to have penetrated judiciary to manipulate court orders. | सुप्रीम कोर्ट में आम्रपाली मामलाः कोर्ट ने कहा देश में क्या हो रहा है, कुछ पावरफुल लोग ऑर्डर को बदलने की कोशिश कर रहे हैं

अदालत के कर्मचारियों को प्रभाव में लेकर लोग आदेश बदलवाने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की हरकतों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

Highlightsपहले भी कोर्ट के एक आदेश में हुआ था बदलाव, जिसके बाद 2 कर्मचारियों को किया गया था बर्खास्त।नाराज शीर्ष अदालत ने दी सख्त चेतावनी, आम्रपाली मामले में डायरेक्टरों को फरेंसिक ऑडिटर पवन अग्रवाल के सामने पेश होने का था आदेश

देश के शीर्ष अदालत उच्चतम न्यायालय में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उच्चतम न्यायालय के प्रमुख जज भी इन घटनाओं से चिंतित हैं। उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उनके आदेश में बदलाव हुआ है।

बहुचर्चित आम्रपाली मामले में अपने आदेश में दुर्भाग्यपूर्ण हेराफेरी से हैरान उच्चतम न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री के कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि संस्थान को ध्वस्त करने की इन हरकतों को लेकर कुछ और लोगों पर कार्रवाई हो सकती है।

शीर्ष न्यायालय ने उसके आदेशों में गड़बड़ी पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुये कहा, ''अदालत के कर्मचारियों को प्रभाव में लेकर लोग आदेश बदलवाने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की हरकतों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।" हमने लोहा व स्टील सप्लाइ करने वाली कंपनियों के खातों की डिटेल्स के साथ उनके डायरेक्टरों को फरेंसिक ऑडिटर पवन अग्रवाल के सामने पेश होने को कहा था, लेकिन जो आदेश सामने आया, उसमें दूसरे फरेंसिक ऑडिटर का नाम था।

कोर्ट ने कहा कि ये सब हो क्या रहा है? यह बेहद गंभीर मामला है। कुछ पावरफुल लोग खुद को बचाने की कोशिश में कोर्ट के ऑर्डर को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। पहले भी ऐसे मामले मिले थे, दो लोग निकाले जा चुके हैं। लगता है, ये काफी नहीं है। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके आदेश में फारेंसिक ऑडिटर का नाम बदल दिया गया

ताजा मामला तब सामने आया है, जब शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके आदेश में फारेंसिक ऑडिटर का नाम बदल दिया गया। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले फरवरी में अपने दो कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था।

यह मामला एरिक्सन मामले में उद्योगपति अनिल अंबानी को अदालत में उपस्थित होने के बारे में था। इसमें अदालत के आदेश में इस तरह छेड़छाड़ की गई कि जिससे यह आभास मिलता है कि अनिल अंबानी को अदालत में स्वयं उपस्थित होने से छूट दी गई है। अदालत के आदेश में छेड़छाड़ को लेकर मामला दर्ज किया गया है।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने बुधवार को अपने पहले के आदेश में सुधार करते हुये जोतिंद्र स्टील एण्ड ट्यूब्स लिमिटेड सहित आम्रपाली समूह की विभिन्न आपूर्तिकर्ता कंपनियों के निदेशकों को नौ मई से तीन दिन तक फॉरेंसिक ऑडिटर पवन अग्रवाल के समक्ष उपस्थित होने को कहा है। अदालत ने कहा कि आदेश का पालन नहीं होने पर उसे अदालत की अवमानना माना जायेगा।

पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश में जब विभिन्न कंपनियों के निदेशकों को पवन अग्रवाल के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया तो फिर आदेश में दूसरे फारेंसिंक ऑडिटर रविन्द्र भाटिया का नाम कैसे आ गया, क्योंकि जोतिन्द्र स्टील एण्ड ट्यूब्स के मामले की जांच पवन अग्रवाल कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण, हैरान और चकित करने वाला है

पीठ ने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण, हैरान और चकित करने वाला है कि इस अदालत के आदेशों में हेराफेरी और उन्हें प्रभावित करने की कोशिशें हो रही है। यह उच्चतम न्यायालय के लिहाज से काफी निराशाजनक है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इससे कुछ दिन पहले भी इसी तरह का मामला न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अदालत में हुआ और अब फिर से यह हुआ है।"

पीठ ने नाराजगी जताते हुये कहा, ''उस समय दो लोगों को हटाया गया। लगता है कि यह काफी नहीं था कुछ और लोगों को बाहर करने की जरूरत है। इस तरह से संस्थान को ध्वस्त किया जा रहा है, इसके लिए जो भी जिम्मेदार है उसे कड़ा संदेश देने की जरूरत है।"

Web Title: Supreme Court: Corporates seem to have penetrated judiciary to manipulate court orders.

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