नयी दिल्ली, 25 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बृहस्पतिवार को बंद कर दी।
बार एसोसिएशन ने वकीलों की हड़ताल के तहत 27 सितंबर को उच्च न्यायालय की पीठ का बहिष्कार करने को लेकर बेशर्त माफी मांग ली, जिसके बाद शीर्ष न्यायालय का यह आदेश आया है।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने बार नेताओं का एक नया हलफनामा स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया। पीठ ने पिछले हलफनामों को खारिज कर दिया था क्योंकि वे बेशर्त नहीं थे।
पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘ उपरोक्त के मद्देनजर, बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा बेशर्त माफी की पेशकश किया जाना और हलफनामे में उनका यह बयान कि वे भविष्य में कभी हड़ताल पर नहीं जाएंगे या किसी न्यायाधीश के रोस्टर में बदलाव करने के लिए मुख्य न्यायाधीश पर दबाव नहीं डालेंगे और भविष्य में दबाव बनाने की कोई तरकीब नहीं अपनाएंगे तथा वे अपने मतभेद कानूनी तरीके से दूर करेंगे, हम बेशर्त माफी की पेशकश को स्वीकार करते हैं। हम अवमानना कार्यवाही बंद करते हैं।’’
शीर्ष न्यायालय ने 27 सितंबर 2021 को राजस्थान उच्च न्यायालय में वकीलों की हड़ताल से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए यह कहा।
बार एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि एक महिला सदस्य को छोड़ कर अन्य पदाधिकारियों ने वैसा ही हलफनामा दाखिल किया है जैसा कि पीठ ने इच्छा जताई थी।
पीठ ने 16 नवंबर को बार एसोसिएशन को फटकार लगाई थी। इसने कहा था कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर खंडपीठ के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दाखिल रिपोर्ट स्तब्ध कर देने वाली है।
रिपोर्ट में पीठ को बताया गया था कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारी व अन्य वकील न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की अदालत के बाहर एकत्र थे और उन्होंने सहकर्मी वकीलों को अदालत कक्ष से बाहर आ जाने को कहा। इसके बाद वकीलों ने अदालत कक्ष का दरवाजा बंद कर दिया और वे किसी को उसमें प्रवेश नहीं करने दे रहे थे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।