लाइव न्यूज़ :

सुप्रीम कोर्ट ने ने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की नौकरी में शत प्रतिशत आरक्षण का आदेश किया रद्द

By भाषा | Updated: April 23, 2020 05:45 IST

पीठ ने कहा कि 1992 के फैसले के अनुसार विशेष मामले में ही 50 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा आरक्षण दिया जा सकता है लेकिन इसमें बहुत ही सतर्कता बरतनी होगी। पीठ ने कहा, ‘‘अधिसूचित इलाकों में 100 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने के लिये कोई असाधारण परिस्थितियां नहीं थीं। यह बेतुका विचार है कि आदिवासियों को सिर्फ आदिवासियों द्वारा ही पढ़ाया जाना चाहिए। यह समझ से परे है कि जब दूसरे स्थानीय निवासी हैं तो वे क्यों नहीं पढ़ा सकते।’’

Open in App
ठळक मुद्देउच्चतम न्यायालय ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित करने के जनवरी 2000 का अविभाजित आंध्र प्रदेश का आदेश बुधवार को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह ‘मनमाना’ है और संविधान के अंतर्गत इसकी इजाजत नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित करने के जनवरी 2000 का अविभाजित आंध्र प्रदेश का आदेश बुधवार को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह ‘मनमाना’ है और संविधान के अंतर्गत इसकी इजाजत नहीं है।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 100 फीसदी आरक्षण प्रदान करना ‘अनुचित’ होगा और कोई भी कानून यह अनुमति नहीं देता है कि अधिसूचित इलाकों में सिर्फ आदिवासी शिक्षक ही पढ़ायेंगे।

संविधान पीठ ने अपने निर्णय में 1992 के इन्दिरा साहनी फैसले का जिक्र किया। पीठ ने कहा कि इस फैसले में शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि संविधान निर्माताओं ने कभी भी यह परिकल्पना नहीं की थी कि सभी स्थानों के लिये आरक्षण होगा । संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस शामिल थे।

पीठ ने कहा कि 1992 के फैसले के अनुसार विशेष मामले में ही 50 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा आरक्षण दिया जा सकता है लेकिन इसमें बहुत ही सतर्कता बरतनी होगी। पीठ ने कहा, ‘‘अधिसूचित इलाकों में 100 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने के लिये कोई असाधारण परिस्थितियां नहीं थीं। यह बेतुका विचार है कि आदिवासियों को सिर्फ आदिवासियों द्वारा ही पढ़ाया जाना चाहिए। यह समझ से परे है कि जब दूसरे स्थानीय निवासी हैं तो वे क्यों नहीं पढ़ा सकते।’’

पीठ ने कहा कि यह कार्रवाई तर्को के परे है और मनमानी है। शत प्रतिशत आरक्षण प्रदान करके मेरिट को इससे वंचित नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि 100 फीसदी आरक्षण प्रदान करने संबंधी आदेश मनमाना, गैरकानूनी और असंवैधानिक है। पीठ ने अपने 152 पेज के फैसले में कहा कि यह स्पष्ट है कि आजादी हासिल करने के 72 साल से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हम अभी तक समाज के निचले स्तर अर्थात् वंचित वर्ग तक यह लाभ नहीं पहुंचा सके है।

पीठ ने अपने फैसले में इस तथ्य का भी जिक्र किया कि 1986 में भी तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने इसी तरह का आदेश दिया था जिसे राज्य प्रशासनिक अधिकरण ने रद्द कर दिया था। अधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की गयी थी लेकिन 1998 में इसे वापस ले लिया गया था।

पीठ ने कहा कि यह अपील वापस लिये जाने के बाद अपेक्षा की जा रही थी कि तत्कालीन आंध्र प्रदेश 100 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की कवायद दुबारा नहीं करेगा। पीठ ने कहा कि विचित्र परिस्थितियों को देखते हुये हम इस शर्त के साथ नियुक्तियों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना भविष्य में दुबारा ऐसा नहीं करेंगे और यदि वे ऐसा करते हैं और आरक्षण की सीमा लांघते हैं तो उनके लिये 1986 से आज तक की गयी नियुक्तियों के बचाव के लिये कुछ नही होगा।

न्यायालय ने इस अपील पर पांच लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया जिसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को बराबर बराबर वहन करना होगा।

टॅग्स :आरक्षणसुप्रीम कोर्टआंध्र प्रदेश निर्माण दिवसतेलंगाना
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

ज़रा हटकेमेहमानों ने रक्तदान किया और 18 यूनिट रक्त एकत्र, संविधान की शपथ लेकर शादी, सोशल मीडिया पर वायरल

भारतCyclone Ditwah: तमिलनाडु में चक्रवात दित्वा का असर, झमाझम बारिश, IMD ने रेड अलर्ट जारी किया, भूस्खलन की कोई संभावना नहीं

भारतAndhra Pradesh: कुरनूल में 2 कारों की जोरदार टक्कर, दो बच्चों समेत 5 की दर्दनाक मौत

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

भारत अधिक खबरें

भारतGoa Fire: गोवा नाइट क्लब आग मामले में पीएम ने सीएम सावंत से की बात, हालातों का लिया जायजा

भारतटीचर से लेकर बैंक तक पूरे देश में निकली 51,665 भर्तियां, 31 दिसंबर से पहले करें अप्लाई

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत