दिल्ली: सुभाष चोपड़ा को सोनिया गांधी ने दिया 'बर्थडे गिफ्ट', प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया, कीर्ति को कैंपेन कमिटी की कमान
By विनीत कुमार | Published: October 23, 2019 06:56 PM2019-10-23T18:56:43+5:302019-10-23T19:17:59+5:30
सुभाष चोपड़ा को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। शीला दीक्षित के इसी साल निधन के बाद जुलाई से ही ये पद खाली था।
सुभाष चोपड़ा को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, कीर्ति आजाद को कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया है। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से बुधवार को जारी बयान के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चोपड़ा और आजाद की नियुक्ति की। चोपड़ा को उनके जन्मदिन 23 अक्टूबर को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इसी साल निधन के बाद जुलाई से ही अध्यक्ष पद खाली था। इससे पहले पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को दिल्ली कांग्रेस की कमान मिलने की बात कही जा रही थी। पिछले कई दिनों से उनके नाम की चर्चा थी और माना जा रहा था कि गुटबाजी के कारण सोनिया गांधी कोई जोखिम उठाने से बच रही थीं।
दरअसल, सूत्रों के अनुसार दिल्ली के कई नेता कीर्ति आजाद जैसे बाहरी नेता के अध्यक्ष बनाये जाने की कोशिशों का विरोध कर रहे थे। वैसे भी, पिछले कुछ दिनों से लगातार दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई तरह की अटकलें सामने आ रही थीं। दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में पार्टी के लिए फैसला लेना जरूरी था।
सुभाष चोपड़ा पहले भी रहे हैं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष
सुभाष चोपड़ा 72 साल के हैं और पहले भी 1998 से 2003 तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वह 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं। उन्होंने जून 2003 से दिसंबर 2003 तक दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष की भूमिका निभाई।
चोपड़ा की नियुक्ति का स्वागत करते हुए दिल्ली कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ ने कहा, 'सोनिया जी का फैसले का हम स्वागत करते हैं। चोपड़ा जी एक वरिष्ठ नेता हैं और उनके पास संगठन का लंबा अनुभव है। उम्मीद है कि उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी मजबूत होगी।'
दिल्ली की राजनीति में कीर्ति आजाद की वापसी
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व क्रिकेटर आजाद ने इस नियुक्ति के साथ लंबे समय बाद दिल्ली की राजनीति में वापसी की है। इससे पहले वह बीजेपी में रहते हुए 1993 से 1998 तक दिल्ली के गोल मार्केट से विधायक रहे, हालांकि 1998 के चुनाव में उन्हें शीला दीक्षित से हार का मुंह देखना पड़ा। दिल्ली विधानसभा चुनाव के हार के बाद आजाद ने बिहार की राजनीति का रुख किया और दरभंगा से सांसद रहे।
उनके पिता भगवत झा आजाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। पहले कीर्ति आजाद को दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा हुई थी, लेकिन बताया जाता है कि पार्टी के कई स्थानीय नेताओं इसका विरोध करते हुए कहा कि किसी ‘बाहरी’ नेता को यह अहम जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए।
ऐसे में पार्टी ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि कुछ महीने पहले पार्टी में शामिल हुए आजाद को कांग्रेस आलाकमान ने चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाकर एक पूर्वांचली चेहरे के तौर पर पेश किया है।
आजाद ने यह जिम्मेदारी मिलने पर कहा, 'अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा सोनिया गांधी जी का मैं सादर आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने मुझे दिल्ली के चुनाव के लिए प्रचार कमेटी का अध्यक्ष चुना है मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोडूंगा। साथ ही सभी दिल्लीवासियों को अपना साधुवाद देता हूं।'
(भाषा इनपुट)