सुभाष चंद्र बोस जयंती: आजाद हिन्द फौज बनाकर अंग्रेजों को दी थी टक्कर, जानें ये 10 खास बातें
By रामदीप मिश्रा | Published: January 23, 2018 10:38 AM2018-01-23T10:38:40+5:302018-01-23T11:06:45+5:30
सुभाष चंद्र बोस पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आईसीएस बने लेकिन एक साल बाद ही उन्होंने अंग्रेज सरकार की सेवा से एक साल बाद ही इस्तीफा दे दिया।
आज (23 जनवरी) नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन है। वो केवल लोगों के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं बल्कि रोल मॉडल भी हैं। आज भी युवावर्ग उनकी बातों से काफी प्रेरित होता है और उनके जैसा बनने की कोशिश करता है। नेताजी देश के उन महानायकों में से एक हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। ऐसे महान व्यक्तित्व की जयंती पर हम आपको उनसे जुड़ी 10 खास बातें बताने जा रहे हैं...
1-सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील माने जाते थे।
2- उनकी प्राथमिक शिक्षा कटक शहर में हुई। इसके बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लिया। उसके बाद कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। उन्होंने 1919 में बीए की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की। इस परीक्षा में उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान मिला था।
3- बोस के पिता चाहते थे कि उनका बेटा ब्रिटिश सरकार की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईसीएस) में जाए। आजादी के बाद इसी सेवा का नाम बदलकर आईएएस कर दिया गया। अपने पिता की इस ख्वाहिश को उन्होंने बखूबी पूरा किया। 1920 की आईसीएस परीक्षा में उनका चौथा स्थान आया, लेकिन उनका मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था। 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया।
4- सुभाष चंद्र बोस की पहली मुलाकात गांधी जी से 20 जुलाई 1921 को हुई थी। गांधी जी की सलाह पर वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने लगे।
5-भारत की आजादी के साथ-साथ उनका जुड़ाव सामाजिक कार्यों में भी बना रहा। समाज सेवा का काम नियमित रूप से चलता रहे इसके लिए उन्होंने 'युवक-दल' की स्थापना की।
6-अपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष को कुल 11 बार जेल गए। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 को छह महीने का कारावास दिया गया था।
7- 1934 ई. में सुभाष अपना इलाज कराने के लिए ऑस्ट्रिया गए थे। उस समय उन्हें अपनी पुस्तक टाइप कराने के लिए एक टाइपिस्ट की जरूरत थी। उन्हें एमिली शेंकल नाम की एक टाइपिस्ट महिला मिली। 1942 में सुभाष ने इस टाइपिस्ट से शादी कर ली।
8-बताया जाता है कि 1941 में एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें कलकत्ता की अदालत में पेश होना था, तभी वे अपना घर छोड़कर चले गए और जर्मनी पहुंच गए। जर्मनी में उन्होंने हिटलर से मुलाकात की।
9-अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा भी दिया।
10- 18 अगस्त 1945 को वे हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे। माना जाता है कि इस सफर के दौरान ताइहोकू हवाई अड्डे पर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें उनकी मौत हो गई। लेकिन आज भी नेताजी की मौत से जुड़े विभिन्न तरह के परस्पर विरोधी दावे किये जाते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि नेताजी उस हवाई दुर्घटना में नहीं मरे थे और उसके बाद वो अज्ञातवास में चले गये थे। कुछ लोग मानते हैं कि दुर्घटना में ही नेताजी की मृत्यु हो गयी थी।