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कहानी सुनाना और लेखन दो अलग-अलग कौशल हैं: आर्चर

By भाषा | Updated: September 4, 2021 21:42 IST

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जाने-माने ब्रिटिश उपन्यासकार जेफरी आर्चर ने कहा है कि कहानी सुनाना और लेखन दो अलग-अलग कौशल हैं। आर्चर की रचनाएं सबसे अधिक बिकती है और उन्होंने कई उपन्यास, लघु कथाएं और नाटक लिखे हैं। आर्चर ने ‘टाइम्स लिटफेस्ट’ के एक सत्र में कहा कि लेखन सिखाया जा सकता है, लेकिन कहानी सुनाना एक उपहार है। उन्होंने कहा, ‘‘लिखने की कला सिखायी जा सकती है, कहानी सुनाना एक उपहार है। आप एक लेखक के रूप में विकसित हो सकते हैं, लेकिन किसी को एक पृष्ठ पलटने का उपहार नहीं सिखाया जा सकता है।’’ आर्चर ने खुलासा किया कि वह वर्तमान में अपनी विलियम वारविक श्रृंखला में अपनी आगामी पुस्तक लिखने के बीच में है। यह आठ-पुस्तक की श्रृंखला है, जिसकी चौथी श्रृंखला इस साल के अंत में रिलीज होने की उम्मीद है। जब उनसे पूछा गया कि 81 साल की उम्र में भी उन्हें उत्साहपूर्वक लिखना जारी रखने के लिए क्या प्रेरित करता है, उन्होंने कहा कि उनकी एक कड़ी दिनचर्या थी जिसे उन्होंने किसी भी कीमत पर नहीं बदलने दिया - वह सुबह 6-8 से लिखते हैं, फिर 10-12 के बीच और फिर अपराह्न दो से चार के बीच लिखते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप एक लेखक बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह स्वीकार करना होगा कि यह बहुत कठिन काम है।’’ उन्होंने कहा कि एक और चीज जो उन्हें और कहानियां सुनाने के लिए प्रेरित करती है, वह है उनका ‘फैन मेल’। उन्होंने कहा, ‘‘वे एक प्रेरणा हैं। जब मैं अपनी डेस्क पर वापस जाता हूं (मेल का जवाब देने के बाद) मैं प्रेरित होता हूं...यह एक बड़ी मदद है। यह बहुत ही रोमांचकारी और दिल को छू लेने वाला है।’’ आर्चर की विशेषज्ञता का क्षेत्र मुख्य रूप से रोमांच (थ्रिलर) रहा है, लेकिन उन्होंने कुछ दशक पहले बच्चों के लिए लेखन में काम किया और इसके बाद उन्होंने चार पुस्तकें लिखी जिनमें ‘‘बाय रॉयल अपॉइंटमेंट’’ (1980), ‘‘विली विजिट्स द स्क्वायर वर्ल्ड’’ (1980), ‘विली एंड द किलर किपर’’ (1981), और ‘‘द फर्स्ट मिरेकल’’ (1994) शामिल हैं। हालांकि, लेखक ने खुलासा किया कि इन किताबों को लिखना ‘‘गलती से’’ हुआ। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने अपने बच्चों के लिए किताबें लिखी थीं, जो उत्सुक थे कि उनके किसी भी सहपाठी ने उनके लेखक पिता की किताबें नहीं पढ़ीं। उन्होंने कहा, ‘‘तो मैंने उनसे कहा था कि मैं उनके लिए एक किताब लिखूंगा। फिर एक भारतीय उद्यमी ने पूछा कि क्या वह किताबें प्रकाशित कर सकते है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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