‘स्टिकी बम’: नये सिरे से एसओपी तैयार कर रहे हैं सुरक्षा बल
By भाषा | Published: March 7, 2021 05:47 PM2021-03-07T17:47:50+5:302021-03-07T17:47:50+5:30
श्रीनगर, सात मार्च सुरक्षा बलों को संदेह है कि ‘स्टिकी बम’ घाटी में आ चुके हैं और उन्होंने इसी आशंका के चलते अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को नए सिरे से तैयार करना शुरू कर दिया है। सुरक्षा बलों ने साथ ही आम जनता को सलाह दी है कि वे अपने वाहनों को लावारिस न छोड़ें। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी।
जम्मू कश्मीर पुलिस ने पिछले महीने के बीच में हथियारों की एक खेप बरामद की थी जिसमें एक आईईडी शामिल था जिसके भीतर एक चुंबक लगा हुआ था जिसे किसी भी वाहन पर लगाया जा सकता था और टाइमर या रिमोट की मदद से विस्फोट किया जा सकता था।
चुंबक वाले आईईडी या ‘स्टिकी बम’ या चिपकाये जाने वाले आईईडी का सबसे अधिक इस्तेमाल युद्ध-प्रभावित अफगानिस्तान में किया गया है। अफगानिस्तान में तालिबान ने इन बमों का इस्तेमाल अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के खिलाफ किया है। वहीं इराक और सीरिया में आईएस के आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल सरकारी बलों के खिलाफ किया है।
इन बमों को पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों द्वारा ड्रोन की मदद से गिराया गया था। इन बमों को 14 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जम्मू क्षेत्र के सांबा सेक्टर में बरामद किया गया था।
इसकी बरामदगी के तत्काल बाद सीमा पार से सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था जिसमें इसके उपयोग और इसमें विस्फोट करने के तरीके के बारे में निर्देश दिए गए थे। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को फिर से तैयार करने का प्रयास शुरू किया।
अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों ने, 'स्टिकी बम' की बरामदगी के बाद से आम लोगों से अपील की है कि वे अपने वाहन को लावारिस नहीं छोड़ें।
भारत में, 'स्टिकी बम' का इस्तेमाल संदिग्ध ईरानी आतंकवादियों द्वारा फरवरी 2012 में एक इजरायली राजनयिक की पत्नी को निशाना बनाने के लिए किया था।
यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब करीब दो साल पहले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ने विस्फोटक से भरे वाहन को सुरक्षाबलों की एक बस से टकरा दिया था जिसमें हुए विस्फोट में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
इसके जवाब में, भारत ने सीमा पार स्थित आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमले किए थे।
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