महाराष्ट्र: पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को झटका, विशेष सीबीआई अदालत ने जमानत याचिका खारिज की
By शिवेंद्र राय | Published: July 11, 2022 01:27 PM2022-07-11T13:27:39+5:302022-07-11T13:29:20+5:30
अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृहमंत्री रह चुके हैं। देशमुख पर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। परमबीर सिंह ने कहा था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर के रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया था।
मंबई: अपने राजनीतिक हालात की वजह से महाराष्ट्र इन दिनो सुर्खियों में है। इसी बीच राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को भ्रष्टाचार मामले में विशेष सीबीआई अदालत से झटका लगा है। सीबीआई की विशेष अदालत ने अनिल देशमुख की डिफॉल्ट जमानत याचिका खारिज कर दी है। विशेष अदालत ने अनिल देशमुख के दो सहयोगियों कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं।
बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख भ्रष्टाचार के मामले में इस समय जेल में बंद हैं। देशमुख की जमानत के लिए दायर की गई जमानत याचिका में उनके वकील की तरफ से दलील दी गई थी कि सीबीआई ने जो चार्जशीट दायर की है वो अपूर्ण है। अनिल देशमुख के वकील की तरफ से कहा गया कि सीबीआई की जांच अधूरी है इसलिए आवेदक अनिल देशमुख को जमानत मिलनी चाहिए। हालांकि विशेष अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
अनिल देशमुख के खिलाफ मामला क्या है
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पिछले साल मार्च में आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख, जो उस समय राज्य के गृह मंत्री थे, ने पुलिस अधिकारियों को शहर के रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया था। देशमुख ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिए जाने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में देशमुख को गिरफ्तार किया गया और तब से वो जेल में ही हैं।
बता दें कि अनिल देशमुख अब बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक, सचिन वाजे को बहाल करने के मामले में भी सीबीआई की प्राथमिकी का हिस्सा हैं। सचिन वाजे मुकेश अंबानी को धमकी देने और मनसुख हिरन मर्डर केस में जेल में हैं। इस मामले में देशमुख के अलावा उनके निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे भी आरोपी हैं। हाल ही में इसी मामले में सचिन वाजे को सरकारी गवाह घोषित किया गया था।