SN Bose Google Doodle: गूगल ने सत्येंद्र नाथ बोस का डूडल बनाकर किया उन्हें आज याद, जानें कौन है Bose जिनके अलबर्ट आइंस्टाइन भी थे मुरीद
By आजाद खान | Published: June 4, 2022 08:26 AM2022-06-04T08:26:10+5:302022-06-04T08:56:41+5:30
SN Bose Google Doodle: बताया जाता है कि बोस के इस महान शोध के बाद भी उन्हें भारत में ज्यादा महत्व नहीं मिला था। यही नहीं उन्हें किसी पत्रिका में भी कुछ खास जगह नहीं मिली थी।
Satyendra Nath Bose Google Doodle: गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाकर भारत के महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस (Satyendra Nath Bose) को सम्मानित किया है। बोस 1920 में अपने क्वॉटम फिजिक्स पर किए गए शोध के लिए जाने जाते हैं। इनकी Quantum Theory के मुरीद महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन भी थे।
बताया जाता है कि बोस के इन शोध को करने के बावजूद भी उन्हें भारत में सही से जगह नहीं मिल पाई है। इनके शोध को देश के किसी पत्रिका में जगह नहीं मिली है। ऐसे में टेक कंपनी गूगल ने आज इनका डूडल बनाकर इस महान वैज्ञानिक को सम्मान दिया है।
वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस का जीवन
महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 01 जनवरी 1894 में हुआ था। बोस के पिता सुरेंद्रनाथ बोस ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी के इंजीनियरिंग विभाग में काम करते थे। इनके सात भाई बहन थे और ये उन में सबसे बड़े थे। इनकी शुरुआती पढ़ाई पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के बाड़ा जगुलिया गांव में हुई है।
जब गांव की पढ़ाई पूरी हो गई तो वे कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में चले आए और 1951 में उन्होंने अप्लाइड मैथ्स से MSc की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उन्हें 1916 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में बतौर रिसर्च स्कॉलर जगह मिली थी यहीं पर उन्होंने Theory of Relativity की पढ़ाई शुरू की थी।
इस खोज के लिए अधिक जाने जाते है बोस
आपको बता दें कि कुछ साल पहले हिग्स बोसोन यानी गाड पार्टिकल की खोज हुई थी। बोस ने ब्रिटिश वैज्ञानिकी पीटर हिग्स के साथ मिलकर इस खोज को अंजाम दिया था। इसीलिए इस खोज का को हिग्स बोसोन कहा जाता है। हिग्स बोसोन खोज का पहला नाम ब्रिटिश वैज्ञानिकी पीटर हिग्स के नाम पर रखा गया है, वहीं बोसोन नाम को सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है। इन्हें बोस-आइंस्टीन स्टेटिस्टिक और बोस-आइंस्टीन केंडेनसेंट के नाम से भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि बोस एक भौतिक विज्ञानी के साथ गणितज्ञ भी थे। उन्हें इंटरमीडिएट की गणित की परीक्षा में 100 में से 110 नंबर मिले थे। बोस को इतना नंबर इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने सभी प्रशनों को सही से हल किया था और इसके साथ वे कई और तरीकों से भी हल भी कर दिया था। उनकी इसी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें 10 नंबर ज्यादा दिए गए थे।