दिल्ली दंगों में सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव, अपूर्वानंद के बतौर अभियुक्त नाम नहीं, पुलिस ने किया मीडिया रिपोर्ट का खंडन
By विनीत कुमार | Published: September 13, 2020 10:46 AM2020-09-13T10:46:01+5:302020-09-13T10:46:01+5:30
दिल्ली पुलिस ने मीडिया में आई उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें पूरक चार्जशीट में सीताराम येचुरी सहित योगेंद्र यादव और कुछ अन्य लोगों के बतौर सह-साजिशकर्ता नाम शामिल किए जाने की बात कही गई है।
दिल्ली पुलिस ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि इसी साल हुए दिल्ली दंगों के मामले में सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी सहित स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय के नाम बतौर सह-साजिशकर्ता पूरक-चार्जशीट में शामिल किए गए हैं।
इस पूरे मामले को लेकर शनिवार शाम से राजनीति और बयानबाजी भी खूब तेज हो गई थी। येचुरी ने दिल्ली पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा था कि ये गैरकानूनी कदम बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से की जा रही राजनीति को दिखाता है। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली पुलिस केंद्र और गृह मंत्रालय के अधीन है। यह अवैध और गैरकानूनी कार्रवाई भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की राजनीति का सीधा नतीजा है।’
न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक ट्वीट का उल्लेख करते हुए दिल्ली पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि जाफराबाद दंगों के केस में ये नाम अभियुक्त के बयान में लिए गए हैं।
पुलिस ने कहा कि आरोपी की ओर से कही गई बातों को गंभीरता से दर्ज किया गया है लेकिन केवल किसी बयान के आधार पर किसी शख्स को आरोपी नहीं बनाया जाता है।
A person is not arraigned as an accused only on the basis of disclosure statement. However, it is only on the existence of sufficient corroborative evidence does further legal action is taken. The matter is currently subjudice: Delhi Police (3/3)
— ANI (@ANI) September 13, 2020
इससे पहले योगेंद्र यादव ने भी चार्जशीट में सह-साजिशकर्ता के तौर पर नामजद होने की रिपोर्ट का खंडन किया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत है। योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, 'उम्मीद है कि पीटीआई इसे वापस ले लेगा। पूरक चार्जशीट में मुझे सह-षड्यंत्रकारी या अभियुक्त के रूप में उल्लेख नहीं किया गया है।'
दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले में 23 से 26 फरवरी के बीच हुए दंगों में पुलिस के आरोप-पत्र के अनुसार 53 लोगों की मौत हुई थी और 581 लोग घायल हो गए थे। इनमें से 97 गोली लगने से घायल हुए थे।
वहीं, पीटीआई के अनुसार योगेंद्र यादव से इस बारे में जब संपर्क का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा, ‘मैंने देखा कि मेरे बारे में की गयी टिप्पणी में मेरे भाषण का एक भी वाक्य नहीं है। मुझे हैरानी है कि दिल्ली पुलिस ने मेरे भाषणों की रिकॉर्डिंग देखने की जहमत भी नहीं उठाई जो सार्वजनिक हैं।’
बीबीसी के अनुसार पूरे मामले पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने कहा, 'दिल्ली पुलिस के संसाधनों का इस्तेमाल एक विचारात्मक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस से ये उम्मीद थी कि वो फरवरी की हिंसा के पीछे की साजिश की जांच करेगी और उसके सच का पता लगाएगी। लेकिन ऐसा न करके वह अपनी पूरी ताकत CAA के खिलाफ आंदोलन और इससे जुड़े लोगों को बदनाम करने में लगा रही है।'