सिका खान 74 साल बाद भाई से मिलने जाएंगे पाकिस्तान, बंटवारे के समय हुए थे परिवार से अलग
By विनीत कुमार | Published: January 28, 2022 10:05 PM2022-01-28T22:05:58+5:302022-01-28T22:11:40+5:30
भारत में रहने वाले सिका खान को पाकिस्तान जाने के लिए वीजा शुक्रवार को मिल गया। वे अपने भाई से मिलने पाकिस्तान जाएंगे। दोनों भाई बंटवारें के समय बिछड़ गए थे।
नई दिल्ली: भारत में रहने वाले सिका खान को पाकिस्तान में अपने भाई से मिलने जाने के लिए वीजा शुक्रवार को मिल गया। भारत में पाकिस्तान के दूतावास ने उन्हें वीजा जारी किया। पाकिस्तान के दूतावास की ओर से इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी भी दी गई।
सिका खान करतारपुर साहिब कॉरिडोर में पाकिस्तान में रह रहे अपने बड़े भाई से 74 साल बाद मिले थे। ये खबर तब दुनिया भर में सुर्खियों में रही थी। दोनों भाई बंटवारे के समय अलग हो गए थे। पाकिस्तान में रह रहे सिका खान के बड़े भाई का नाम मुहम्मद सिद्दीक है। सिका फिलहाल पंजाब में बठिंडा जिले के फुलेवाला गांव में रहते हैं।
Today, Pakistan High Commission issues visa to Sika Khan to visit his brother, Muhammed Siddique and other family members in Pakistan. The two brothers separated in 1947 were recently reunited after 74 years at Kartarpur Sahib Corridor. pic.twitter.com/SAmkGmaQKT
— Pakistan High Commission India (@PakinIndia) January 28, 2022
फैसलाबाद में रहते हैं मुहम्मद सिद्दीक
सिका खान के बड़े भाई 80 साल के मुहम्मद सिद्दीक पाकिस्तन के फैसलाबाद शहर में रहते हैं। करतारपुर कॉरिडोर में जब दोनों भाई मिले थे तो दोनों की आंखें भर आई थी। इसी मुलाकात के दौरान सिका खान को ये भी पता चला कि जन्म के समय उनका नाम हबीब खान था।
इससे पहले दोनों भाईयों ने 2019 में वीडियो कॉल के जरिए बात की थी। पाकिस्तान के एक यूट्यूब चैनल ने दोनों भाईयों से संपर्क कर उनकी बात कराई थी और ये कहानी पूरी दुनिया में फैली थी।
बता दें कि भारत में पंजाब के डेरा बाबा नानक से पाक सीमा तक विशेष कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। दूसरी ओर पाकिस्तान में भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहते हैं।
करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी अपने आखिरी दिनों में यही रहे थे। इसलिए सिख धर्म में इस जगह का विशेष महत्व है।