गृह मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों की रेल यात्रा के लिए जारी की नई SOP, रेलवे ही करेगा श्रमिक ट्रेन चलाने का फैसला
By नितिन अग्रवाल | Published: May 20, 2020 07:22 AM2020-05-20T07:22:25+5:302020-05-20T07:22:25+5:30
भारतीय रेलवे ने मंगलवार (19 मई) को कहा कि एक मई से लेकर अब तक 1,600 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा चुकी हैं और रेलवे ने 21.5 लाख से ज्यादा प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया है।
नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच चल रही खींचतान के बीच केंद्र सरकार ने इन्हें चलाने के फैसले से राज्यों को बाहर कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की संशोधित गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि ट्रेन चलाने का फैसला पूरी तरह रेल मंत्रालय का होगा जो उसकी सलाह से लिया जाएगा. अभी तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन ट्रेन छूटने और पहुंचने वाले राज्यों की सहमति से किया जा रहा था.
रेलवे ने जारी की संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP)
रेल मंत्रालय के के प्रवक्ता राजेश वाजपेयी ने स्पष्ट किया कि इन ट्रेनों के लिए अब गंतव्य राज्य की अनुमति जरूरी नहीं है. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की. इसके तहत प्रवासी लोगों को लाने और ले जाने के लिए जरूरी इंतजाम करने के लिए राज्य नोडल अधिकारी तैनात करेंगे.
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने 'लोकमत समाचार' को बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कई बार कहा गया कि वे अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को आने दें ताकि फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सके. कुछ ही राज्यों ने इसका पालन किया, जिससे अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक सड़कों या रेलवे ट्रैक पर पैदल चलने को मजबूर हैं.
गृह सचिव भल्ला की ओर से सभी मंत्रालयों और राज्यों को मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में कहा गया है कि ट्रेन का समय और बीच के स्टेशनों को राज्यों की मांग के अनुसार रेल मंत्रालय निर्धारित करेगा. यात्रा के लिए प्रोटोकॉल, यात्रियों के प्रवेश और गतिविधियां, ट्रेन में सुविधाएं और राज्यों द्वारा टिकट बुक करने के लिए किए गए प्रबंधों के बारे में रेलवे जानकारी देगा. यात्रियों को भेजने वाले राज्य यह सुनिश्चित करेंगे कि बिना किसी लक्षण वाले लोगों को ही ट्रेन में सवार होने दिया जाए. भल्ला ने कहा कि बसों और ट्रेनों के प्रस्थान के बारे में और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि इसके अभाव और अफवाहों के चलते श्रमिकों में बेचैनी देखी गई है.
आजीविका गंवाने की आशंका में लौट रहे घर
केंद्रीय गृह सचिव भल्ला ने पत्र में कहा है कि कामगारों के घर लौटने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 का खतरा और आजीविका गंवाने की आशंका है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी पैदल चल रहे मजदूरों को ठहरने के निर्धारित स्थानों पर या परिवहन के साधन उपलब्ध कराकर पास के बस अड्डे या रेलवे स्टेशन तक भेज सकते हैं.
उनके ठहरने के स्थानों पर एनजीओ के प्रतिनिधियों को काम पर लगाया जा सकता है. प्रवासी मजदूरों को ले जा रही बसों को अंतर्राज्यीय सीमा पर जाने की अनुमति दी जाए. साथ ही परिवहन के लिए बसों की संख्या बढ़ाई जाए. श्रमिकों को मूल स्थान पर रोकने के लिए उनके खाने, स्वास्थ्य सुविधाओं और काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए. उन्होंने बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों का ध्यान रखने की भी सलाह दी है.