अडानी से पुरानी है शरद पवार की दोस्ती, अपनी आत्मकथा में कारोबारी को 'मेहनती, जमीन से जुड़ा व्यक्ति' बताया, जानिए और क्या है लिखा?

By भाषा | Published: April 9, 2023 02:03 PM2023-04-09T14:03:43+5:302023-04-09T14:04:03+5:30

पवार ने अपनी किताब में लिखा कि अडानी ने किस तरह से मुंबई लोकल ट्रेन में एक सेल्समैन का काम करने की शुरुआत करते हुए अपना विशाल कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया।

Sharad Pawar in his autobiography Lok Majhe Sangati Adani is a hardworking down to earth person | अडानी से पुरानी है शरद पवार की दोस्ती, अपनी आत्मकथा में कारोबारी को 'मेहनती, जमीन से जुड़ा व्यक्ति' बताया, जानिए और क्या है लिखा?

अडानी से पुरानी है शरद पवार की दोस्ती, अपनी आत्मकथा में कारोबारी को 'मेहनती, जमीन से जुड़ा व्यक्ति' बताया, जानिए और क्या है लिखा?

Highlightsवरिष्ठ नेता पवार ने यह भी लिखा है कि उनके आग्रह पर ही अडानी ने ताप ऊर्जा क्षेत्र में कदम रखा। अडानी ने हीरा उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश से पहले छोटे उद्यमों में हाथ आजमायाः किताब में पवारपवार ने लिखा हैः ‘वह हीरा कारोबार में अच्छी कमाई कर रहे थे लेकिन गौतम की इसमें रूचि नहीं थी।

नयी दिल्लीः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार के उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर विपक्षी दलों से अलग विचार हो सकते हैं लेकिन उद्योगपति से उनकी मित्रता करीब दो दशक पुरानी है जब अडानी कोयला क्षेत्र में विस्तार के अवसर तलाश रहे थे। पवार ने वर्ष 2015 में मराठी भाषा में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ में अडानी की खूब प्रशंसा की है और उन्हें एक ‘‘मेहनती, साधारण, जमीन से जुड़ा’’ और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कुछ बड़ा करने की महत्वाकांक्षा रखने वाला व्यक्ति बताया है। 

वरिष्ठ नेता पवार ने यह भी लिखा है कि उनके आग्रह पर ही अडानी ने ताप ऊर्जा क्षेत्र में कदम रखा। पवार ने अपनी किताब में लिखा कि अडानी ने किस तरह से मुंबई लोकल ट्रेन में एक सेल्समैन का काम करने की शुरुआत करते हुए अपना विशाल कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया। पवार ने अपनी किताब में यह भी उल्लेखित किया है कि अडानी ने हीरा उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश से पहले छोटे उद्यमों में हाथ आजमाया। 

राकांपा प्रमुख पवार ने लिखा, ‘‘वह हीरा कारोबार में अच्छी कमाई कर रहे थे लेकिन गौतम की इसमें रूचि नहीं थी। उनकी महत्वाकांक्षा बुनियादी ढांचा क्षेत्र में उतरने की थी। गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के साथ उनके अच्छे संबंध थे और उन्होंने मुंद्रा में एक बंदरगाह के विकास का एक प्रस्ताव पेश किया था।’’ उन्होंने याद करते हुए लिखा कि पटेल ने अडानी को आगाह किया था कि यह बंदरगाह पाकिस्तान सीमा के करीब है और यह एक शुष्क जगह है। उन्होंने कहा, ‘‘विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने चुनौती स्वीकार की।’’ 

पवार ने लिखा कि बाद में अडानी ने कोयला क्षेत्र में कदम रखा और उनके (पवार के) ही सुझाव पर कारोबारी ताप ऊर्जा क्षेत्र में उतरे। उस समय केंद्रीय कृषि मंत्री रहे पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के गोंदिया में राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल के पिता की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अडानी को ये सुझाव दिए थे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पवार ने कहा, ‘‘गौतम ने अपने संबोधन में मेरे सुझाव को स्वीकार किया। आम तौर पर मंच से दिए गए बयानों पर कुछ खास नहीं होता लेकिन गौतम इस दिशा में आगे बढ़े और उन्होंने भंडारा में 3,000 मेगावाट का ताप ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया।’’ 

किताब में पवार ने याद किया कि कैसे उन्होंने अपने दशकों पुराने राजनीतिक करियर के दौरान महाराष्ट्र में विकास के लिए कई उद्योगपतियों के साथ करीबी ताल्लुकात बढ़ाए। राकांपा प्रमुख पवार ने कहा कि वह उद्योगपतियों के साथ नियमित संपर्क में रहते थे जो किसी भी दिन अपराह्न दो बजे से शाम चार बजे के बीच पहले से समय लिये बिना उनसे मिल सकते थे। पवार ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के साथ अपने संबंध को याद किया, जो बड़ी परियोजनाओं को महाराष्ट्र भेज देते थे। पवार ने कहा कि उन्होंने इसके बदले गुजरात में कुछ छोटी परियोजनाओं को भेजा, जो एक ऐसी व्यवस्था थी जिसने यह सुनिश्चित किया कि दोनों राज्य आर्थिक मोर्चे पर ऊंचाइयों को छूएं।

 पवार ने यह भी लिखा है कि उन्होंने कैसे कोरियाई कार निर्माता कंपनी हुंदै मोटर्स को तब तमिलनाडु में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने में मदद की जब उसने शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के दौरान महाराष्ट्र में व्यवसाय स्थापित करने में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ा था। 

विपक्षी दलों की अडानी समूह की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग के बीच पवार ने उद्योगपति घराने के कामकाज की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति से कराने का पक्ष लेकर अपने साथी विपक्षी नेताओं को हैरान कर दिया।  पवार भी अडानी समूह के समर्थन में सामने आए और समूह पर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट को लेकर बयानबाजी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि उद्योग समूह को ‘‘निशाना’’ बनाया जा रहा है और उन्हें अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग कंपनी के अतीत के बारे में जानकारी नहीं है। विनायक दामोदर सावरकर और अडानी समूह की आलोचना जैसे मुद्दों पर पवार ने कांग्रेस से अलग रुख अपनाया है।

Web Title: Sharad Pawar in his autobiography Lok Majhe Sangati Adani is a hardworking down to earth person

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