सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लेकर केंद्र गंभीर, शांतिकाल के दौरान केंद्रीय सुरक्षाबलों की होगी तैनाती
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 7, 2023 02:59 PM2023-08-07T14:59:57+5:302023-08-07T15:01:31+5:30
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा हुआ एक संकीर्ण रास्ता है जिसकी लंबाई लगभग 170 किमी और चौड़ाई 60 किमी है। कुछ जगहों पर यह लगभग 20-22 किमी ही चौड़ा है इसलिए इसे चिकन नेक भी कहते हैं। यह भाग जबरदस्त भू-राजनीतिक महत्व रखता है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के अहम फैसले में तय किया गया है कि रणनीतिक रूप से बेहद अहम सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए शांतिकाल के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मियों की तैनाती होगी। चिकन नेक के रूप में जाने जाने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर चीन सीमा के बेहद नजदीक है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर को देश की रणनीतिक सुरक्षा की दृष्टि से बेहद कमजोर बिंदु के रूप में देखा जाता है। अब शांतिकाल के दौरान इसकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मियों को निर्दिष्ट क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), जो एमएचए के प्रशासनिक और परिचालन क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते हैं, महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे। ये सुरक्षाबल पहले से ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर तैनात हैं।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए पहले भी कई कदम उठाए जा चुके हैं। भविष्य में अतिरिक्त उपाय किए जाने की भी उम्मीद है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा हुआ एक संकीर्ण रास्ता है जिसकी लंबाई लगभग 170 किमी और चौड़ाई 60 किमी है। कुछ जगहों पर यह लगभग 20-22 किमी ही चौड़ा है इसलिए इसे चिकन नेक भी कहते हैं। यह भाग जबरदस्त भू-राजनीतिक महत्व रखता है।
यह भारत के उत्तर-पूर्व को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। यह प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे लाइनों, पाइपलाइनों, ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और बहुत कुछ को समायोजित करता है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीन की चुम्बी घाटी से इसकी निकटता के कारण इसका महत्व बढ़ जाता है। इस क्षेत्र में सुरक्षा मजबूत करने की जरूरत 2017 के डोकलाम गतिरोध के समय से ही महसूस की जा रही थी। डोकलाम गतिरोध के समय चीनी पीएलए ने संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब एक सड़क बनाने का प्रयास किया था। मई 2022 के बाद से एलएसी पर सेना की तैनाती में भारी इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए भी संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर को सुरक्षित करने की जरूरत महसूस की गई।