मोदी सरकार का दूसरा कार्यकालः ये पांच मुद्दे बनेंगे पीएम नरेंद्र मोदी के गले की फांस, क्या निकलेगा समाधान?
By आदित्य द्विवेदी | Published: May 23, 2019 03:34 PM2019-05-23T15:34:09+5:302019-05-23T15:34:09+5:30
जनता ने पीएम मोदी पर भरोसा जताते हुए पांच साल के लिए स्पष्ट जनादेश दिया है। लेकिन स्पष्ट बहुमत के बावजूद आसान नहीं होगी पीएम मोदी की राह।
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए देश की 542 सीटों पर मतगणना जारी है। ताजा रुझानों के मुताबिक मोदी सरकार एकबार फिर स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आने जा रही है। बीजेपी का पूरा चुनावी कैम्पेन राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर केंद्रित रहा। जनता ने उन पर भरोसा जताते हुए पांच साल के लिए स्पष्ट जनादेश दिया है। लेकिन स्पष्ट बहुमत के बावजूद आसान नहीं होगी पीएम मोदी की राह। बीजेपी की सहयोगी जेडीयू के नेता नीतीश कुमार का कहना है कि धारा 370, यूनिफॉर्म सिविल कोड और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर जनता दल यूनाइटेड का नजरिया पहले से ही साफ है। इसे जनता पर थोपना नहीं चाहिए। जानिए, वो पांच मुद्दे जो बनेंगे सरकार के गले की फांस...
राम मंदिरः-
1 मई को अयोध्या में पीएम मोदी की जनसभा थी। मंच से उन्होंने जय श्री राम के नारे लगवाए। ऐसा पहली बार हुआ था कि पीएम मोदी ने अपनी जनसभा में जयश्री राम के नारे लगवाए हो। हालांकि उन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई बात नहीं की, लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल में यह मुद्दा गले की फांस बन सकता है। फिलहाल राम मंदिर मुद्दे के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक मध्यस्थता पैनल नियुक्त किया है।
अनुच्छेद 370:-
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री चुने जाते हैं तो कश्मीर को विशेष शक्तियां देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया जाएगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी धारा 370 और 35 ए की समीक्षा पर बल दिया था। नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू इस मुद्दे पर साथ देने को तैयार नहीं है।
समान नागरिक संहिताः-
समान नागरिक संहिता मोदी सरकार के एंजेडे में शामिल है। अपने दूसरे कार्यकाल में इस मुद्दे पर पीएम मोदी कोई ठोस कदम उठा सकते हैं। हालांकि उनकी राह आसान नहीं होगी क्योंकि विधि आयोग ने भी कहा था कि फिलहाल देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है। राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।' देश का बहुसंख्यक वर्ग से लागू करने पर जोर दे रहा है वहीं अल्पसंख्यक समुदाय इसका विरोध कर रहा है।
एनआरसीः-
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम ड्राफ्ट जारी होने के बाद से विपक्ष हमलावर हो गया। इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया था कि असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण का मसौदा पूरी तरह निष्पक्ष है। यह मुद्दा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में गले की फांस बन सकता है। दरअसल एनआरसी से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है। इसके हिसाब से 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।
तीन तलाकः-
तीन तलाक का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे में शामिल रहा है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि सरकार अगले छह माह में ट्रिपल तलाक पर कानून बनाए तब तक इसपर रोक लगाई जा रही है। हालांकि ट्रिपल तलाक बिल पर केंद्र सरकार की कोशिशें राज्यसभा में धाराशाई हो जा रही थी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह बड़ा मुद्दा रहेगा जिसपर मोदी सरकार को समाधान तलाशना होगा।