संजय राउत ने कहा, 'गुजरात और राजस्थान के चुनाव के लिए भाजपा 'द कश्मीर फाइल्स' को बढ़ावा दे रही है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 20, 2022 03:55 PM2022-03-20T15:55:59+5:302022-03-20T16:05:24+5:30

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोखठोक' में संजय राउत ने लिखा कि कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी सुनिश्चित करने का भाजपा ने वादा किया था, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बावजूद ऐसा नहीं हुआ है। कश्मीरी पंडितों को घाटी में दोबारा बसाने पर भाजपा विफल रही।

Sanjay Raut said, 'BJP is promoting 'The Kashmir Files' for Gujarat and Rajasthan elections' | संजय राउत ने कहा, 'गुजरात और राजस्थान के चुनाव के लिए भाजपा 'द कश्मीर फाइल्स' को बढ़ावा दे रही है'

फाइल फोटो

Highlightsसंजय राउत ने कहा, 'द कश्मीर फाइल्स' में हिंदू-मुसलमानों को बांटने करने का प्रयास किया गया हैफिल्म के जरिये भाजपा आगामी गुजरात और राजस्थान के चुनावों को जितने का प्रयास कर रही हैफिल्म का एजेंडा केवल विरोधियों (राजनीतिक) के बारे में नफरत और भ्रम फैलाने का है

मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को आगामी गुजरात और राजस्थान विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस फिल्म में कई "कटु सत्य" को दबाने का प्रयास किया गया है।

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोखठोक' में संजय राउत ने लिखा कि कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी सुनिश्चित करने का भाजपा ने वादा किया था, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बावजूद ऐसा नहीं हुआ है। कश्मीरी पंडितों को घाटी में दोबारा बसाने पर भाजपा विफल रही और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस फिल्म के मुख्य प्रमोटर बने हुए हैं। 

भाजपा पर और हमला करते हुए राज्यसभा सदस्य राउत ने एनडीए के अन्य दलों से पूछा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को भारत के साथ एकीकृत करने के उनके वादे का क्या हुआ।

राउत ने कहा, "कश्मीर में हिंदू पंडितों के भागने, उनकी हत्याओं, उन पर किए गए अत्याचारों और उनके गुस्से पर आधारित कहानी किसी के दिमाग को परेशान करती है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इस फिल्म से हिंदू-मुसलमानों को फिर से विभाजित करने का प्रयास है और आगामी चुनावों को जितने का प्रयास किया जा रहा है।"

संजय राउत ने आरोप लगाते हुए कहा, "गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में चुनाव जीतने के लिए कश्मीर की फाइल खोली गई है।" 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्में बननी चाहिए, लेकिन इस फिल्म का एजेंडा केवल विरोधियों (राजनीतिक) के बारे में नफरत और भ्रम फैलाने का है। शिवसेना नेता ने कहा कि 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्माताओं ने पहले 'द ताशकंद फाइल्स' बनाई थी। जिसके माध्यम से आरोप लगाया गया था कि पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के लिए केवल गांधी परिवार जिम्मेदार है।

राजयसभा सांसद राउत ने कहा, 'द कश्मीर फाइल्स' में सच्ची खबर दिखाते हुए कई और कटु सत्यों को दबाने का प्रयास किया गया है। बत्तीस साल पहले कश्मीर का माहौल न केवल कश्मीरी पंडितों के लिए बल्कि सभी के लिए बुरा था और कश्मीरी पंडित उनमें सबसे अधिक प्रभावित थे।”

संजय राउत ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के अलावा उस समय कश्मीर में मारे गए लोगों में कश्मीरी सिख और मुसलमान भी शामिल थे। राउत ने कहा कि कश्मीर में पहली राजनीतिक हत्या नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद युसूफ हलवाई की अगस्त 1989 में हुई थी। इससे पहले पुलिस महानिरीक्षक पर हमला हुआ था, जिसमें उनका अंगरक्षक मारा गया था। उन्होंने आरोप लगाया, "इस तरह के कई सच 'द कश्मीर फाइल्स' में नहीं दिखाये गये हैं।"

उन्होंने कहा कि आजादी के 43 साल बाद भी कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से भागने के लिए मजबूर नहीं किया गया। उन्होंने आगे कहा कि 1990 में जब कश्मीरी पंडितों और सिखों को कश्मीर छोड़ना पड़ा, तब केंद्र में भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी।

राउत ने कहा, "उस समय केवल शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे ने कश्मीरी पंडितों के समर्थन में आवाज उठाई थी। राउत ने आगे भाजपा से यह भी पूछा कि उसने मार्च 2015 में पीडीपी के साथ सरकार कैसे बनाई, जिसने उग्रवादियों से हाथ मिलाया था।

राउत ने कहा, "इन लोगों (भाजपा) ने उस समय कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और हत्याओं की निंदा तक नहीं की।" उन्होंने पूछा कि उस सरकार में भाजपा के मंत्री चुप क्यों थे जब पीडीपी ने 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को "शहीद" करार दिया था और सुरक्षाकर्मियों द्वारा आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या पर सवाल उठाया था। राउत ने भाजपा से यह भी पूछा कि पीओके को भारत के साथ जोड़ने की उसकी घोषणा का क्या हुआ।

शिवसेना नेता ने कहा कि ठाकरे ने महाराष्ट्र में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के बच्चों के लिए चिकित्सा और इंजीनियरिंग शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया और पूछा कि भाजपा शासित राज्यों ने कभी ऐसा निर्णय क्यों नहीं लिया।

उसने पूछा, "साल 2019 के पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत का जिक्र करते हुए संजय राउत ने कहा कि सुरक्षाकर्मी "पंडित" नहीं हो सकते हैं और पूछा कि यह किसकी गलती थी कि उन्होंने इस घटना में अपनी जान गंवा दी। क्या उरी, पठानकोट से लेकर पुलवामा जैसे हमलों में कश्मीर की घटनाओं की फाइल हमारे खून से सनी नहीं है?"

मालूम हो कि विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित और ज़ी स्टूडियो द्वारा निर्मित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा समुदाय के लोगों की व्यवस्थित हत्याओं के बाद कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन को दर्शाती है।

देश के सिनेमाघरों में 11 मार्च को रिलीज होने के बाद से ही फिल्म ने राजनीतिक दलों के बीच एक बहस छेड़ दी है। वहीं मध्य प्रदेश और गुजरात सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। 

Web Title: Sanjay Raut said, 'BJP is promoting 'The Kashmir Files' for Gujarat and Rajasthan elections'

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