सबरीमला मंदिरः सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ 13 जनवरी से सुनवाई करेगी, जानिए क्या है मामला
By भाषा | Updated: January 6, 2020 20:35 IST2020-01-06T20:35:41+5:302020-01-06T20:35:41+5:30
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में सोमवार को जारी एक नोटिस में सूचित किया कि इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन की याचिका पर शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका 13 जनवरी को सूचीबद्ध की जा रही है। इस फैसले में न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश की अनुमति दी थी।

पीठ ने कहा था कि यही समय है कि उच्चतम न्यायालय व्यापक न्याय के लिए एक न्यायिक नीति तैयार करे।
केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश देने के शीर्ष अदालत के फैसले से जुडे तमाम मुद्दों के अलावा मुस्लिम और पारसी समुदाय की महिलाओं के साथ कथित भेदभाव के मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ 13 जनवरी से सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में सोमवार को जारी एक नोटिस में सूचित किया कि इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन की याचिका पर शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका 13 जनवरी को सूचीबद्ध की जा रही है। इस फैसले में न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश की अनुमति दी थी।
पिछले साल 14 नवंबर को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत के फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी सितंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था।
Correction: Sabarimala review petitions will be heard by a 9*-judge Constitution Bench of the Supreme Court from 13th January 2020. pic.twitter.com/Lro0lvSb3Z
— ANI (@ANI) January 6, 2020
हालांकि पीठ ने कहा था कि धर्मस्थलों में महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध की धार्मिक परंपराओं की संवैधानिक वैधता को लेकर छिड़ी बहस सिर्फ सबरीमला प्रकरण तक ही सीमित नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि मस्जिदों और दरगाह में मुस्लिम महिलओं के प्रवेश और गैर पारसी पुरुष से विवाह करने वाली पारसी समुदाय की महिलाओं को परिजनों के अंतिम संस्कार से संबंधित अज्ञारी जैसे पवित्र स्थान पर प्रवेश पर पाबंदी है। पीठ ने कहा था कि यही समय है कि उच्चतम न्यायालय व्यापक न्याय के लिए एक न्यायिक नीति तैयार करे।