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विदेशी कंपनियों की मनमानी से संघ नाराज, स्वदेशी जागरण मंच पीएम मोदी को लिखेगा पत्र

By नितिन अग्रवाल | Updated: June 3, 2019 18:51 IST

स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि बीटी कॉटन बीजों की मनमानी कीमत वसूलने वाली माहिको मोनसेंटो बायोटेक लिमिटेड (एमएमबीएल) के खिलाफ कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा धीमी गति से कार्रवाई की जा रही है.

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री को यह भी जानकारी दी जाएगी कि कृषि मंत्रालय का भी इस मामले में ढुलमुल रवैया रहा है.संघ का अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने इसे लेकर सरकार को आगाह करने की तैयारी कर रहा है.

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ विदेशी कंपनियों की मनमानी पर सरकारी एजेंसियों के नरम रुख से नाराज है. संघ का अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने इसे लेकर सरकार को आगाह करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा जाएगा.

सूत्रों के अनुसार स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि बीटी कॉटन बीजों की मनमानी कीमत वसूलने वाली माहिको मोनसेंटो बायोटेक लिमिटेड (एमएमबीएल) के खिलाफ कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा धीमी गति से कार्रवाई की जा रही है.

प्रधानमंत्री को यह भी जानकारी दी जाएगी कि कृषि मंत्रालय का भी इस मामले में ढुलमुल रवैया रहा है. मंच के संयोजक अश्विनी महाजन के अनुसार मोनसेंटो ने मनमाने तरीके से किसानों से लगभग आठ हजार करोड़ रु पए ज्यादा इकट्ठे किए हैं. इसकी जांच में तीन वर्ष से अधिक का समय लगा. कंपनी को प्रतिस्पर्धा कानून तोड़ने का दोषी पाया जा चुका है.

दरअसल, स्वदेशी जागरण मंच ने कई और मुद्दों को भी सरकार के सामने रखने की योजना बनाई है. इसमें एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने और सरकारी विभागों में विदेशी सलाहकारों की नियुक्ति के चलन का मुद्दा भी है.

फिलहाल संगठन विदेशी संस्थाओं द्वारा समाजसेवा की आड़ में कथित व्यवसाय करने और विदेशी पूंजी वाली ईकॉमर्स कंपनियों अमेजॉन और फिल्पकार्ट द्वारा मनमानी छूट देकर घरेलू स्टार्टअप कंपनियों और खुदरा कारोबारियों को नुकसान पहुंचाने का मुद्दा भी उठा रहा है.

पहले भी सरकार पर बनाया था दबाव मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी संघ के इस संगठन द्वारा घरेलू कंपनियों और कारोबारियों के हित में कई मुद्दे उठाए गए. दवाओं और चिकित्सीय उपकरणों की कीमतों को लेकर सरकार पर दबाव बनाया. इस बार भी संगठन ने सरकार गठन के साथ ही अपना वही रुख कायम रखा है.

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