आरएलएसपी के बागी गुट को चुनाव आयोग ने मान्यता दी, चुनाव चिन्ह पर फैसला बाद में
By भाषा | Published: April 20, 2019 06:03 AM2019-04-20T06:03:54+5:302019-04-20T06:03:54+5:30
चुनाव आयोग ने बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) से अलग हुये ललन पासवान की अगुवाई वाले बागी गुट को अंतरिम मान्यता प्रदान कर दी है।
चुनाव आयोग ने बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) से अलग हुये ललन पासवान की अगुवाई वाले बागी गुट को अंतरिम मान्यता प्रदान कर दी है। साथ ही आरएलएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को पार्टी के अध्यक्ष के रूप में मान्यता देते हुये उनके गुट को पार्टी के चुनाव चिन्ह सीलिंग फैन’ पर चुनाव लड़ने और उम्मीदवार खड़े करने की अंतरिम अनुमति दी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने बृहस्पतिवार को इस मामले में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अंतरिम व्यवस्था देते हुये दोनों गुटों को मान्यता प्रदान की है। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि पहले से ही बिहार में राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त दल के रूप में पंजीकृत आरएलएसपी अपने पूर्व आवंटित चुनाव चिन्ह ‘सीलिंग फैन’ पर ही चुनाव लड़ सकेगी। साथ ही आयोग ने उपेन्द्र कुशवाहा को पार्टी के अध्यक्ष के रूप में मान्यता दी है।
जबकि ललन पासवान की अगुवाई वाले बागी गुट को आयोग ने बिहार में राज्य स्तरीय दल की अंतरिम मान्यता दी है। यह मान्यता आयोग द्वारा विवाद के पूरी तरह से निपटारा होने तक बरकरार रहेगी। आयोग ने अंतरिम आदेश में कहा कि इस गुट को मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय दलों के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्ह में से उसकी मर्जी का कोई चुनाव चिन्ह भी आवंटित किया जायेगा। इस पर यह गुट लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतार सकेगा। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2013 में पंजीकृत आरएलएसपी को आयोग ने 2014 में राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त दल का दर्जा दिया था।
आरएलएसपी के गत फरवरी में राजग से अलग होने के फैसले के विरोध में ललन पासवान की अगुवाई वाले गुट ने आयोग के समक्ष याचिका दायर कर अपने गुट को आरएलएसपी के चुनाव चिन्ह का हकदार बताया था। पासवान के साथ साथ आरएलएसपी के निर्चाचित सभी प्रतिनिधियों में शामिल एक सांसद, दो विधायक और एक विधान पार्षद ने कुशवाहा को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा कर पार्टी पर अपना दावा पेश किया था। पासवान गुट ने गत 18 फरवरी को आयोग के समक्ष याचिका पेश कर उनके गुट को आएलएसपी की मान्यता देने की मांग की थी। चुनाव के बाद आयोग इस मामले की सुनवाई पूरी करेगा। भाषा निर्मल उमा उमा