कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार में मंत्री पद के लिए सिफारिश हुई तेज
By भाषा | Published: December 11, 2019 07:33 PM2019-12-11T19:33:19+5:302019-12-11T19:33:19+5:30
भाजपा की ओर से मैदान में 13 अयोग्य ठहराए गए विधायकों को उतारा गया था। मुख्यमंत्री के संकेत से साफ है कि हाल में पार्टी में शामिल हुए नेताओं को मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बड़ा हिस्सा मिलेगा, वहीं पार्टी के कई वरिष्ठ विधायकों ने मंत्री पद के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी है।
कर्नाटक में पांच दिसंबर को 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली भारी जीत के बाद बीएस येदियुरप्पा की सरकार की जीवनरेखा तो लंबी हो गयी है लेकिन इसके साथ ही मंत्री पद के लिए पुराने धुरंधरों और पार्टी में हाल में शामिल हुए नेताओं में सिफारिश का दौर तेज हो गया है।
येदियुरप्पा ने उपचुनाव में 15 से 12 सीटों पर जीत दर्ज करने के एक दिन बाद मंगलवार को कहा था कि वह मंत्रिमंडल विस्तार के लिए जल्द ही पार्टी नेतृत्व से चर्चा करंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन 11 विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा जो अयोग्य करार दिए गए थे और भाजपा के टिकट पर जीतकर दोबारा सदन के सदस्य बने हैं।
भाजपा की ओर से मैदान में 13 अयोग्य ठहराए गए विधायकों को उतारा गया था। मुख्यमंत्री के संकेत से साफ है कि हाल में पार्टी में शामिल हुए नेताओं को मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बड़ा हिस्सा मिलेगा, वहीं पार्टी के कई वरिष्ठ विधायकों ने मंत्री पद के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी है।
एकता और शक्ति प्रदर्शन के लिए उपचुनाव में जीतने वाले और हारने वाले पार्टी प्रत्याशियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान उन्होंने उपचुनाव में सहयोग के लिए येदियुरप्पा को धन्यवाद दिया और आगे भी पार्टी एवं सरकार में उनके सहयोग की कामना की।
येदियुरप्पा से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए यशवंतपुर से नवनिर्वाचित भाजपा विधायक एसटी सोमशेखर ने कहा, ‘‘हम एक साथ उन्हें धन्यवाद देने आए थे क्योंकि वह प्रत्येक प्रत्याशी के क्षेत्र में कम से कम दो बार प्रचार के लिए गए।’’ सोमशेखर ने कहा कि उन्होंने आरआर नगर और मस्की से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने का अनुरोध किया जहां से कांग्रेस विधायक मुनीरत्न और प्रताप गौड़ा पाटिल को अयोग्य करार दे दिया गया और उच्च न्यायालय में मामला लंबित होने की वजह से वहां पर उपचुनाव नहीं हुए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की इच्छा जताई लेकिन उन्होंने (मुख्यमंत्री) इंतजार करने को कहा क्योंकि संसद का सत्र चल रहा है। सोमशेखर ने हालांकि, स्पष्ट किया कि इस दौरान मंत्रिमंडल विस्तार और मंत्रालय को लेकर चर्चा नहीं हुई।
अयोग्य ठहराए जाने के बाद भाजपा के टिकट पर लड़ने वाले प्रत्याशी एचएच विश्वनाथ (हुनासुरु) और एमटीबी (होसाकोटे) को हारने के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और पार्टी नेतृत्व इस पर फैसला करेगा।
सोमशेखर ने कहा, ‘‘सभी अयोग्य ठहराए गए विधायक एकजुट हैं चाहे वे जीते हैं या हारे, किसी को अकेले छोड़ने का सवाल ही नहीं है।’’ मंत्रिमंडल में अयोग्य ठहराए गए विधायकों को शामिल करने के मुद्दे पर भाजपा में नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा ‘‘हम यहां किसी से मुकाबला करने नहीं आए हैं।’’
चिक्कबल्लापुरा से नवनिर्वाचित विधायक के सुधाकर ने कहा कि हम में से किसी ने भी किसी मंत्रालय की मांग नहीं की है और इसका निर्धारण मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान क्षेत्रीय और जातीय संतुलन कायम रखने की चर्चा के बीच राजस्व मंत्री के अशोक ने कहा, ‘‘इसकी कोई संभावना नहीं है मौजूदा मंत्रियों के पास जो अतिरिक्त कार्यभार है उसे ही नए मंत्रियों को सौंपा जाएगा।’’ इस बीच गुलबर्ग से भाजपा विधायक सुभाष गुट्टेदार और दत्तात्रेय सी पाटिल रेवूर ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मंत्रिमंडल में उनके क्षेत्र को भी प्रतिनिधित्व देने की मांग की।