रामपुरः सपा नेता आजम खां की पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्लाह से मिले रालोद अध्यक्ष जयंत, अखिलेश के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 21, 2022 03:26 PM2022-04-21T15:26:14+5:302022-04-21T15:27:17+5:30
मुस्लिम नेताओं द्वारा सपा के खिलाफ नाराजगी जताए जाने के मुद्दे पर रालोद अध्यक्ष चौधरी ने कहा, "यह किसी का विरोध करने का मामला नहीं है। हर किसी को अपनी बात रखने की आजादी है। मुझे इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है। मैं यहां सिर्फ इसलिए आया था, क्योंकि आजम खां के परिवार से मेरा व्यक्तिगत लगाव है।"
रामपुरः समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ कुछ मुस्लिम नेताओं के विरोध जताए जाने की पृष्ठभूमि में सपा के गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के परिवार से मुलाकात की।
रालोद ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बैठक की तस्वीरें पोस्ट कीं। रालोद प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने "शिष्टाचार यात्रा" करार दिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करने वाले रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने रामपुर में आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्लाह आजम से उनके घर पर मुलाकात की।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह जी ने रामपुर में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान जी के परिजनों से मुलाकात की#chaudharyjayantsingh#RLDpic.twitter.com/r3NHWrav9Y
— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) April 20, 2022
सूत्रों ने कहा कि चौधरी ने खां परिवार से मुलाकात की और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश की। आजम सपा के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। सपा सांसद मुलायम सिंह यादव के सबसे खास हैं। जयंत पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में हुई हिंसा के मामले के गवाह हरदीप सिंह से मुलाकात करने गए थे।
सिंह के साथ पिछले दिनों कथित रूप से मारपीट की गई थी। जयंत ने आजम के परिजन से बंद कमरे में मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "आजम खां साहब के परिवार के लोग प्रशासनिक तंत्र से नाराज हैं। परिवार मुश्किल वक्त से गुजर रहा है। मैं उनसे मिलने गया था क्योंकि मेरा इस परिवार से व्यक्तिगत लगाव है। मैं उनके साथ संपर्क में रहूंगा।"
आजम खां फरवरी 2020 से अब तक विभिन्न मामलों में सीतापुर जेल में बंद है। गौरतलब है कि इस महीने के शुरू में आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अखिलेश पर आजम खान सहित अन्य मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने सपा के लिए एकतरफा वोट किया मगर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुस्लिम समुदाय की मुसीबतों पर एक शब्द नहीं बोला। यहां तक कि उन्होंने आजम खान की रिहाई के लिए कोई आंदोलन भी नहीं चलाया। इसके अलावा पिछली 12 अप्रैल को विधानपरिषद चुनाव में मतदान करने के बाद संभल से सपा के सांसद शफीक उर रहमान बर्क ने भी सपा पर मुसलमानों के लिए काम नहीं करने का आरोप लगाया था।
मुस्लिम नेताओं द्वारा सपा के खिलाफ नाराजगी जताए जाने के मुद्दे पर रालोद अध्यक्ष चौधरी ने कहा, "यह किसी का विरोध करने का मामला नहीं है। हर किसी को अपनी बात रखने की आजादी है। मुझे इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है। मैं यहां सिर्फ इसलिए आया था क्योंकि आजम खान के परिवार से मेरा व्यक्तिगत लगाव है।"
रालोद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष मसूद अहमद ने भी विधानसभा चुनाव के बाद इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने चौधरी पर अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों पर खुलकर कुछ भी नहीं बोलने का आरोप लगाया था। इसके अलावा रालोद के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव तारिक परवेज ने भी ये ही आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था।
अपनी पार्टी के मुस्लिम नेताओं द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बारे में पूछने पर जयंत ने कहा, "मुझे हाल ही में इस बारे में मालूम हुआ। कभी-कभी कुछ छोटे मुद्दे जहन में बाकी रह जाते हैं और मुझ तक नहीं पहुंच पाते। मैं उनसे बात करूंगा।" गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में कुल 34 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं जिनमें से 32 सपा के और दो राष्ट्रीय लोकदल के हैं।
उत्तर प्रदेश में विभिन्न मामलों के आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाये जाने को गैरकानूनी बताते हुए चौधरी ने कहा, "आखिर अपराधी कौन है, यह कौन तय करेगा? क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तय करेंगे या उनकी पुलिस करेगी? क्या देश में अब न्यायपालिका की कोई जरूरत नहीं रह गई है। अगर देश में संविधान और न्यायपालिका बची हुई है और नागरिकों के अधिकार अब भी सुरक्षित हैं, तो ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए।"
(इनपुट एजेंसी)