राम मंदिर निर्माण का जिम्मा नहीं मिलने पर कोर्ट जाएगा रामालय ट्रस्ट: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

By भाषा | Published: January 20, 2020 08:16 PM2020-01-20T20:16:55+5:302020-01-20T20:16:55+5:30

यहां माघ मेले में शंकराचार्य के शिविर में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि अयोध्या का 1993 का एक्ट कहता है कि 1993 के बाद बने ट्रस्ट को यह जमीन दी जाएगी।

Ramalaya Trust will go to court if Ram temple construction is not done: Swami Avimukteshwaranand Saraswati | राम मंदिर निर्माण का जिम्मा नहीं मिलने पर कोर्ट जाएगा रामालय ट्रस्ट: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

राम मंदिर निर्माण का जिम्मा नहीं मिलने पर कोर्ट जाएगा रामालय ट्रस्ट: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

Highlightsइस ट्रस्ट ने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने की बात कही है। चूंकि यह ट्रस्ट एक्ट की शर्तों के मुताबिक 1993 के बाद बना है, इसलिए यह पात्र है।अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार किसी मंदिर का जीर्णोद्धार प्रारंभ करने से पूर्व एक छोटे अस्थायी मंदिर "बाल मंदिर" का निर्माण किया जाता है

ज्योतिष पीठ के जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार यदि राजनीतिक या किसी अन्य कारणों से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य रामालय न्यास को नहीं सौंपती है तो यह न्यास अदालत का रुख करेगा।

यहां माघ मेले में शंकराचार्य के शिविर में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि अयोध्या का 1993 का एक्ट कहता है कि 1993 के बाद बने ट्रस्ट को यह जमीन दी जाएगी। इससे साफ है कि रामजन्मभूमि न्यास को यह जमीन नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह ट्रस्ट 1986 में पंजीकृत हुआ है। वहीं अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास को चारों शंकराचार्यों, पांचों वैष्णवाचार्यों ने मिलकर बनाया है।

इस ट्रस्ट ने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने की बात कही है। चूंकि यह ट्रस्ट एक्ट की शर्तों के मुताबिक 1993 के बाद बना है, इसलिए यह पात्र है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि के मसले को लेकर 1993 में श्रृंगेरी में चारों शंकराचार्यों की पहली बैठक हुई जिसमें राम मंदिर निर्माण को लेकर जो प्रस्ताव हुआ उसमें पुरी के शंकराचार्य के भी हस्ताक्षर हैं। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, "रामालय न्यास ने अपना दावा केंद्र सरकार के पास भेज दिया है कि वह मंदिर बनाने के लिए सक्षम भी है और तैयार भी है। इस मंदिर का निर्माण न्यास सरकारी पैसे से नहीं, बल्कि अपने पैसे से और हिंदू धर्म के पैसे से कराएगा।"

उन्होंने कहा कि अयोध्या में कोई नया मंदिर नहीं बनना है। धर्मशास्त्रों के अनुसार नया मंदिर वहां बनता है जहां पहले से कोई मंदिर न हो। अयोध्या में पहले से राम जन्मभूमि है और विग्रह भी पहले से विद्यमान है। इसलिए इसे मंदिर का जीर्णोद्धार कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गत मकर संक्रांति के दिन अयोध्या में साकल घाट किनारे बाल मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया है और इसके लिए दक्षिण भारत से चंदन की लकड़ी मंगाई गई है। इसका मॉडल भी उन्होंने शिविर में पेश किया।

अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार किसी मंदिर का जीर्णोद्धार प्रारंभ करने से पूर्व एक छोटे अस्थायी मंदिर "बाल मंदिर" का निर्माण किया जाता है जहां देवता को तब तक के लिए विराजमान किया जाता है जब तक मंदिर का निर्माण पूरा न हो जाए।

उन्होंने बताया कि रामालय न्यास द्वारा निर्मित किये जाने वाला मंदिर विश्व में अद्वितीय होगा। इसे अंगकोरवाट मंदिर से प्रेरणा लेकर बनाया जाएगा। यह 1008 फुट ऊंचे शिखर वाला और 1008 किलो सोने से मंडित होगा। इसमें एक साथ एक लाख आठ लोगों के एक साथ दर्शन करने, भोजन प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था होगी। 

Web Title: Ramalaya Trust will go to court if Ram temple construction is not done: Swami Avimukteshwaranand Saraswati

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