पुण्यतिथिः जानिए रामकृष्ण परमहंस के बारे में 10 बड़ी बातें, जो बने स्वामी विवेकानंद के गुरु

By रामदीप मिश्रा | Published: August 16, 2018 07:27 AM2018-08-16T07:27:33+5:302018-08-16T07:27:33+5:30

बताया जाता है कि सात वर्ष की अल्पायु में ही गदाधर (रामकृष्ण परमहंस) के सिर से पिता का साया उठ गया था। ऐसी विपरीत परिस्थिति में पूरे परिवार का भरण-पोषण कठिन हो गया था।

ramakrishna paramahamsa death anniversary biography history swami vivekananda | पुण्यतिथिः जानिए रामकृष्ण परमहंस के बारे में 10 बड़ी बातें, जो बने स्वामी विवेकानंद के गुरु

पुण्यतिथिः जानिए रामकृष्ण परमहंस के बारे में 10 बड़ी बातें, जो बने स्वामी विवेकानंद के गुरु

नई दिल्ली, 16 अगस्तः भारत के महान संत और विचारक रामकृष्ण परमहंस की आज पुण्यतिथि है। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया है। उनकी इसी विचारों से प्रेरित होकर स्वामी विवेकानंद ने अपना गुरु बनाया था। रामकृष्ण परमहंस  का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था। उनके बचपन का नाम गदाधर था और पिता का नाम खुदीराम और माता का नाम चन्द्रमणि देवी था। आइए उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उनके बारे में जानते हैं ये मुख्य बातें...

1- बताया जाता है कि सात वर्ष की अल्पायु में ही गदाधर (रामकृष्ण परमहंस) के सिर से पिता का साया उठ गया था। ऐसी विपरीत परिस्थिति में पूरे परिवार का भरण-पोषण कठिन हो गया था।

2- रामकृष्ण का मन अध्ययन-अध्यापन में नहीं लगा। इसके बाद 1855 में रामकृष्ण परमहंस के बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था। 1856 में रामकुमार के मृत्यु के बाद रामकृष्ण को काली मंदिर में पुरोहित के तौर पर नियुक्त किया गया था।

3- बताया जाता है कि बड़े भाई के चले जाने से वह व्यथित हो गए थे। इसके बाद पूजा मन लगा लिया और ईश्वर दर्शन के लिए वे व्याकुल हो गए थे। लोग उन्हे पागल समझने लग गए थे।

4- इसके बाद मांग चन्द्रमणि देवी ने चिन्तत होकर गदाधर का विवाह शारदा देवी से कर दिया था। इसके बाद भैरवी ब्राह्मणी का दक्षिणेश्वर में आगमन हुआ और फिर उन्होंने सन्यास लिया। सन्यास ग्रहण करने के वाद उनका नया नाम रामकृष्ण परमहंस रखा गया।

5- रामकुमार की मृत्यु के बाद रामकृष्ण ज्यादा ध्यान मग्न रहने लगे थे। वे काली माता के मूर्ति को अपनी माता और ब्रम्हांड की माता के रूप में देखने लगे थे। कहा जाता है की रामकृष्ण को काली माता के दर्शन ब्रम्हांड की माता के रूप में हुए थे। 

6- रामकृष्ण परमहंस को पुराण, रामायण, महाभारत और भगवत पुराण का अच्छा ज्ञान था। उनका कहना था कि सभी इंसानों के भीतर भगवान है, लेकिन हर इंसान भगवान नहीं है इसलिए उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

7- बताया जाता है कि रामकृष्ण परमहंस जीवन के अंतिम दिनों में समाधि की स्थिति में रहने लगे थे। उनका तन शिथिल होने लग गया था। उनके शिष्य उन्हें ठाकुर नाम से पुकारते थे।

8- रामकृष्ण के परमप्रिय शिष्य विवेकानन्द कुछ समय हिमालय के किसी एकान्त स्थान पर तपस्या करना चाहते थे। यही आज्ञा लेने गुरु के पास गये थे। जिस पर उन्होंने कहा था कि वत्स हमारे आसपास के क्षेत्र के लोग भूख से तड़प रहे हैं। चारों ओर अज्ञान का अंधेरा छाया है। यहां लोग रोते-चिल्लाते रहें और तुम हिमालय की किसी गुफा में समाधि के आनन्द में निमग्न रहो।  

9- रामकृष्ण छोटी कहानियों के माध्यम से लोगों को शिक्षा देते थे। कलकत्ता के बुद्धिजीवियों पर उनके विचारों ने जबरदस्त प्रभाव छोड़ा था। हांलाकि उनकी शिक्षाएं आधुनिकता और राष्ट्र के आजादी के बारे में नहीं थी। 

10- रामकृष्ण परमहंस का निधन 16 अगस्त 1886 को हो गया था। उन्होंने सुबह होने से पहले ही नश्वर शरीर को त्याग दिया था।

Web Title: ramakrishna paramahamsa death anniversary biography history swami vivekananda

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