Ayodhya Dispute: सुप्रीम कोर्ट में आज मुस्लिम पक्ष रखेगा दलीलें, एक महीने में आ सकता है फैसला!

By स्वाति सिंह | Updated: September 2, 2019 09:43 IST2019-09-02T09:42:17+5:302019-09-02T09:43:55+5:30

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid Dispute: अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट नवंबर तक अपना फैसला सुना सकती है। हिन्दू पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष की दलीलों पर सुनवाई पूरी की।

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid Dispute: Supreme court to hear muslim side today, may verdict comes soon | Ayodhya Dispute: सुप्रीम कोर्ट में आज मुस्लिम पक्ष रखेगा दलीलें, एक महीने में आ सकता है फैसला!

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अयोध्या के 2.77 एकड़ की विवादित भूमि इसके तीन पक्षकारों के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। 

Highlightsसोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें रखेगा। कोर्ट ने 16 दिनों में सभी हिन्दू पक्ष की दलीलें सुनी

अयोध्या विवाद मामले में हिन्दू पक्ष की सुनवाई पूरी होने बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें रखेगा। कोर्ट ने 16 दिनों में सभी हिन्दू पक्ष की दलीलें सुनी, इसमें निर्मोही अखाड़ा, रामलला हैं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ट वकील राजीव धवन ने यह पहले कह चुके हैं कि अप अपनी सभी दलीलें सिर्फ 20 दिनों में पूरी कर लेंगे।ऐसे में अगर ऐसा होता है तो कोर्ट का काफी समय बाख सकता है और फैसला एक महीने में आ सकता है।

अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट नवंबर तक अपना फैसला सुना सकती है। हिन्दू पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष की दलीलों पर सुनवाई पूरी की। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। मालूम हो कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में यह चर्चा चल रही है कि सीजेआई के रिटायर होने से पहले ही बेंच अपना फैसला सुना सकता है। 

विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा हिंदुओं को देने को तैयार शिया बोर्ड

शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने को तैयार है जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम संगठनों को आवंटित किया था।

इसके बाद शिया बोर्ड ने पीठ के समक्ष कहा कि बाबर का कमांडर मीर बकी शिया मुस्लिम था और बाबरी मस्जिद का पहला मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) था। शिया वक्फ बोर्ड की ओर से वकील एम सी धींगरा ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 16वें दिन की सुनवाई पर पीठ से कहा, 'मैं हिंदू पक्ष का समर्थन कर रहा हूं।' उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटते हुए एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दिया था, ना कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को और इसलिए वह इस आधार पर अपना हिस्सा हिंदुओं को देना चाहता है जिसका एक आधार यह भी है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की संपत्ति है। 

हिंदू पक्षकार ने समूची 2.77 एकड़ जमीन का मांगा कब्जा 

सुप्रीम कोर्ट में एक हिन्दू पक्षकार ने समूची 2.77 एकड़ विवादित जमीन का नियंत्रण और प्रबंधन दिये जाने की मांग की। मामले में एक अहम पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल पर अपना दावा पेश करते हुए कहा कि मुस्लिमों को 1934 से इस विवादित ढांचे में प्रवेश की इजाजत नहीं थी। 

इसी जगह पर स्थित बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। अखाड़ा ने कहा कि वह भगवान राम की जन्मस्थली का प्रबंधक होने के नाते ‘मुख्य मंदिर’ पर स्वामित्व और कब्जे के लिये दावा पेश कर रहा है। 

इस विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से समाधान खोजने का प्रयास विफल होने के बाद उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर मंगलवार से दैनिक सुनवाई शुरू की।

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अयोध्या के 2.77 एकड़ की विवादित भूमि इसके तीन पक्षकारों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। 

Web Title: Ram Janmabhoomi-Babri Masjid Dispute: Supreme court to hear muslim side today, may verdict comes soon

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