मुंबई में शुरू हुआ राजकमल का 'किताब उत्सव', देश के जाने-माने साहित्यकार समेत अभिनेता भी ले रहे है इसमें हिस्सा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 20, 2023 09:04 AM2023-03-20T09:04:42+5:302023-03-20T09:05:26+5:30

मुंबई में शुरू हुआ राजकमल का 'किताब उत्सव', देश के जाने-माने साहित्यकार समेत अभिनेता भी ले रहे है इसमें हिस्सा
मुंबई: रविवार को राजकमल प्रकाशन द्वारा वर्ली के नेहरू सेंटर हॉल ऑफ हार्मनी में आयोजित 'किताब उत्सव' शुरू हुआ था। इस 'किताब उत्सव' का उद्घाटन ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मराठी लेखक भालचन्द्र नेमाडे, लक्ष्मण गायकवाड और अब्दुल बिस्मिल्लाह ने किया था। यह 'किताब उत्सव' 19 मार्च से 23 मार्च 2023 तक चलेगा जिसमें भाग लेने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से साहित्यकार पहुँच रहे हैं।
मुंबई 'किताब उत्सव' में दो संस्कृतियों का हो रहा है मिलन
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए भालचन्द्र नेमाडे ने कहा है कि "पुस्तकों के प्रकाशन के जरिए ज्ञान के विस्तार से ही समाज का भला हो सकता है।" ऐसे में उन्होंने आगे कहा कि "हमारी राष्ट्र भाषा कोई बहुत अधिक क्लिष्ट भाषा नहीं बल्कि आम बोलचाल की हिंदी भाषा ही हो सकती है।"
वहीं इस पर बोलते हुए लक्ष्मण गायकवाड ने कहा है कि मेरी यही कामना है कि राजकमल का यह कारवां इसी तरह बढ़ता रहे और यह साहित्यिक यात्रा देश के सभी शहरों में पहुंचे। इसके बाद अब्दुल बिस्मिल्लाह ने भी बोला है और कहा है कि "इस साहित्यिक उत्सव के जरिए दो संस्कृतियों का मिलन हो रहा है। हिंदी ने महाराष्ट्र की धरती पर आकर अपने दोनों हाथ खोल दिए हैं और मराठी ने उसे हृदय से लगाया है।"
इस सत्र में सूत्रधार की भूमिका यूनुस खान ने निभाई थी। इस दौरान श्रोताओं को संबोधित करते हुए राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि "राजकमल प्रकाशन ने गत 28 फरवरी को 76वें वर्ष में प्रवेश किया। राजकमल अब एक प्रकाशन समूह के रूप में काम कर रहा है। देश की आजादी से पूर्व एक बिरवा रोपा गया था जो अब एक भरापूरा वृक्ष बन गया है।"
उन्होंने आगे कहा कि "राजकमल प्रकाशन की इस 75 वर्षों की यात्रा में महाराष्ट्र और मराठी भाषा के रचनाकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।"
'बंजारे की चिट्ठियाँ' से गौरव सोलंकी ने किया अंशपाठ
अगले सत्र में कवि-कहानीकार गौरव सोलंकी ने सुमेर सिंह राठौड़ की किताब 'बंजारे की चिट्ठियाँ' का अंशपाठ किया था। बता दें कि 'बंजारे की चिट्ठियाँ' डायरी विधा में लिखी गई है। सुमेर की यह पहली किताब खुरदरी जिन्दगी का एक कोमल आख्यान हैं। इसके बाद तीसरे सत्र में काव्य-संध्या आयोजित हुई जिसमें आभा बोधिसत्व, प्रेमरंजन अनिमेष, मालवी मल्होत्रा, मोनिका सिंह, विजय अकेला, शैलजा पाठक, हरि मृदुल और हिमानी शिवपुरी आदि कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया था। इस सत्र की सूत्रधार विभा रानी रहीं थी।
किताब उत्सव में कल गुलज़ार से होगी गुफ्तगू
'किताब उत्सव' में सोमवार को मशहूर फ़िल्म निर्देशक-गीतकार गुलजार और अभिनेता पीयूष मिश्रा भी शिरकत करेंगे। सोमवार के इस कार्यक्रम में गुलज़ार से 'लेखन का आस-पड़ोस' विषय पर सलीम आरिफ और यूनुस खान गुफ्तगू करेंगे। गौरतलब है कि पीयूष मिश्रा का आत्मकथात्मक उपन्यास 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' हाल ही में प्रकाशित हुई। यह पुस्तक प्रकाशित होने के समय से ही चर्चा का विषय बनी हुई है जिसके अब तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।
सोमवार को होने वाले कार्यक्रम में भालचन्द्र नेमाडे के चार उपन्यासों के हिंदी संस्करणों के आवरणों का लोकार्पण भी होगा। 'किताब उत्सव' में प्रतिदिन सुबह 11:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक पुस्तक प्रदर्शनी लगाई जा रही है साथ ही, पुस्तकप्रेमियों के लिए 'आएँ खेलें पाएँ छूट', 'किताब संग दोस्ती' और 'ओपन माइक' जैसी गतिविधियाँ भी आयोजित की जा रही है।
राजकमल के 75 वर्षों की यात्रा का जश्न है 'किताब उत्सव'
राजकमल प्रकाशन ने 28 फरवरी को अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे किए है। हिन्दी के शीर्षस्थ प्रकाशन के रूप में समादृत राजकमल की स्थापना 28 फरवरी 1947 को दिल्ली में हुई थी। राजकमल प्रकाशन ने बीते साल अपने 75वें वर्ष में प्रवेश के साथ ही देश के विभिन्न शहरों में 'किताब उत्सव' का आयोजन शुरू किया था। अब तक भोपाल, बनारस, पटना और चंडीगढ़ में 'किताब उत्सव' का सफल आयोजन हो चुका है। इसी कड़ी में अब मुंबई में 'किताब उत्सव' का आयोजन हो रहा है।