राजस्थान: 50 साल से एक ही राजनीतिक मुद्दा ‘नहर‘, जिसकी आज तक बाट निहार रहा है झुंझुनूं
By धीरेंद्र जैन | Published: January 1, 2019 06:10 AM2019-01-01T06:10:41+5:302019-01-01T06:10:41+5:30
इस वीर भूमि पर अधिकांश लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का झंडा लहराया है यदा कदा भाजपा को भी सफलता मिली लेकिन आशानुरूप नहीं। गांव-गांव और ढाणी-ढाणी में शहीदों की प्रतिमाओं वाले इस जिले से लम्बे समय तक कांग्रेस के दिग्गज नेता शीशराम ओला का वर्चस्व रहा।
देशभर में सैनिकों के जिले के नाम से पहचाना जाने वाला राजस्थान का झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र की राजनीति भी इस वीर भूमि अलग की प्रकार की रही है। पिछले पांच दशकों से झुंझुनूं में एक ही राजनीतिक मुद्दा रहा है और वो है ‘नहर‘, जिसकी बाट आज भी झुंझुनूं निहार रहा है।
इस वीर भूमि पर अधिकांश लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का झंडा लहराया है यदा कदा भाजपा को भी सफलता मिली लेकिन आशानुरूप नहीं। गांव-गांव और ढाणी-ढाणी में शहीदों की प्रतिमाओं वाले इस जिले से लम्बे समय तक कांग्रेस के दिग्गज नेता शीशराम ओला का वर्चस्व रहा। वे लगभग पांच दशकों पर यहां की राजनीति में छाए रहे। राजनीति के जानकार कहते हैं कि यहां गत पचास सालों से एक मात्र नहर का मुद्दा है जो आज तक इस धरा को नसीब नहीं हुई। हरियाणा की सीमा से सटे इस संसदीय क्षेत्र में जिले की सात विधानसभा सीटें झुंझुनूं, खेतड़ी, मंडावा,त्र सूरजगढ़, पिलानी, उदयपुरवाटी और नवलगढ़ शामिल हैं। सीकर जिले की फतेहपुर सीट में इसी में आती है। आठ विधानसभाओं की इस लोकसभा सीट से वर्तमान में संतोष अहलावत सांसद हैं। इस क्षेत्र में ओला ने पांच दशकों तक नहर लाने के नाम पर राजनीति की। यह बात जुदा है कि नहर आज तक नहीं आई। ओला पांच बार सांसद एवं अनेक बार विधायक रहे।
जाट बहुल संसदीय क्षेत्र है झुंझुनूं
जाट बहुल संसदीय क्षेत्र है झुंझुनूं में आबादी की दृष्टि से दूसरी संख्या मुस्लिमों की है। मातली मतदाता भी यहां बड़ी संख्या में है। यही वजह है ककि भाजपा कई बार माली प्रत्याशी को मैदान में उतार चुकी है। वर्ष 2011 के अनुसार जाट बहुल संसदीय क्षेत्र झुंझुनूं की जनसंख्या 21 लाख 37 हजार से अधिक थी। जिनमें 11 लाख के करीब पुरुष और 10 लाख से कुछ अधिक महिलाएं थी। झुंझुनूं में वर्तमान में 16 लाख 64 से अधिक मतदाना है जबकि सीकर की फतेहपुर सीट पर 1 लाख 69 से अधिक मतदाता है।
पिछले लोकसभा चुनाव में संतोष अहलावत ने तोड़ा था कांग्रेस का वर्चस्व: 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते संतोष अहलावत ने शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला को 2 लाख 34 हजार से अधिक मतों से हराया था। इससे पूर्व 2009 में शीशराम ओला ने भाजपा के दशरथ सिंह को 66 हजार के करीब मतांें से हराया था।